सीएए-एनआरसी पर सियासी महाभारत

नई दिल्ली,22 दिसंबर (आरएनएस)। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी पर भाजपा की विपक्ष के साथ आर या पार की सियासी लड़ाई के संदेश ने राजग के सहयोगी दलों की चिंता बढ़ा दी है। देश के कई हिस्सों में तीखे विरोध और हिंसा के बावजूद भाजपा की आक्रामक रणनीति के कारण राजग के कई सहयोगियों को इस मामले में सियासी नुकसान की चिंता सता रही है। यही कारण है कि एक सहयोगी असम गण परिषद ने जहां इस कानून के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है, वहीं जदयू, अकाली दल और लोजपा ने भी अलग-अलग चिंता जाहिर की है। गौरतलब है कि इन सभी दलों ने इससे संबंधित बिल का संसद के दोनों सदनों में समर्थन किया था।
दरअसल सीएए और एनआरसी का विरोध जिस वर्ग और जिन इलाकों में हो रहा है, वहां भाजपा के इन सहयोगी दलों का भी प्रभाव है। मसलन बिहार में मुसलिम वर्ग का बड़ा हिस्सा भले ही राजद का साथ देता आ रहा हो, मगर इसके कुछ हिस्से में जदयू और लोजपा का भी प्रभाव है। इसके अलावा इन दोनों ही दलों में कई प्रभावशाली मुस्लिम नेता भी हैं। ऐसे में इन दोनों दलों को डर है कि जिस प्रकार मुस्लिम समाज में इस बिल का तीखा विरोध हो रहा है, उससे इस वर्ग में उसका रहा-सहा वोट बैंक भी साफ हो जाएगा। वैसे भी ये दोनों दल इससे जुड़े बिल का समर्थन करने के बाद इस वर्ग के निशाने पर हैं। यही कारण है कि जदयू ने जहां सकारात्मक संदेश देने के लिए जदयू की बैठक बुलाने की मांग की है, वहीं लोजपा ने साफ शब्दों में कहा है कि सरकार इस कानून और एनआरसी पर देश को स्पष्टï संदेश देने में नाकाम रही है। शिअद ने तो एक कदम आगे बढ़ कर कानून में मुसलमानों को भी नागरिकता देने का प्रावधान करने की मांग कर डाली है।
असम में पार्टी की सहयोगी अगप इससे जुड़े बिल का समर्थन करने के बाद राज्य में हो रहे तीखे विरोध के बाद बेहद डर गई है। अगप के डर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने बिल का संसद में समर्थन के बाद इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य में मुसलमानों के अलावा स्थानीय निवासी भी लगातार इस कानून का विरोध कर रहे हैं।
भाजपा नहीं करेगी परवाह
दूसरी ओर भाजपा का मानना है कि कानून का विरोध उन्हीं वर्गों और इलाकों में हो रहा है जहां चुनावों में पार्टी को सफलता नहीं मिलती है। भाजपा का समर्थक वर्ग खुल कर न सिर्फ सीएए के साथ है, बल्कि एनआरसी भी लागू करने के हक में है। यही कारण है कि देश के कई हिस्सों में विरोध की परवाह नहीं करते हुए पार्टी ने शनिवार को कानून के पक्ष में तीन करोड़ लोगों से सीधा संपर्क करने के अलावा कई कार्यक्रम घोषित किए। पीएम ने रविवार की रैली में यह तो कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में एनआरसी पर चर्चा नहीं हुई, मगर उन्होंने यह नहीं कहा कि सरकार ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विचार त्याग दिया है।
सफाई के साथ पीएम ने दिखाए तेवर
रामलीला मैदान में रविवार को हुई रैली में पीएम मोदी ने जहां सीएए को ले कर सफाई दी, वहीं एनआरसी लागू नहीं करने सवाल को गौण कर गए। इस दौरान उन्होंने घुसपैठ के खिलाफ आक्रमक रुख बरकरार रखने का भी साफ संदेश दिया। उन्होंने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठियों में अंतर समझना होगा। एक मजबूरी में यहां आए हैं तो दूसरे ने घुसपैठ का सहारा लिया है। उन्होंने एनआरसी पर सरकार में चर्चा न होने की बात तो कही, मगर यह नहीं कहा कि सरकार ने इसे ठंडे बस्ते मेंं डाल दिया है।
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