नागरिकता कानून को लेकर देश भर में नहीं थम रहा बवाल

नई दिल्ली,20 दिसंबर (आरएनएस)। नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर देश भर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा इसे लागू नहीं करने के फैसले पर गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बड़ी जानकारी दी है।
नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर देश भर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा इसे अपने राज्यों में इसे लागू नहीं करने के फैसले पर गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बड़ी जानकारी दी है। सूत्रों का कहना है कि इस कानून को लागू करना केंद्र के तहत आता है। इसे लेकर छिड़े बवाल पर कहा कि सभी से चर्चा के बाद इस बिल को पेश किया गया था। इसके अलावा सूत्रों ने यह भी कहा है कि मंत्रालय ने प्रदर्शन करने वालों से इस बिल को लेकर अपने सुझाव भी मांगे हैं। सूत्रों ने बताया कि यह कानून कहां लागू होगा इसका फैसला सरकार करेगी, क्योंकि यह कानून केंद्र के तहत आता है। उन्होंने कहा कि यह डिजिटल और आसान प्रक्रिया होगी ताकि किसी को भी इस संबंध में कोई दिक्कत न हो। नागरिकता कानून को लेकर छिड़े बवाल पर सूत्रों ने कहा कि यह बिल सभी से चर्चा के बाद पेश किया गया है। इस पर विस्तार से चर्चा भी हुई है। जो लोग इसके खिलाफ हैं, उनके पास इस मामले में कोर्ट जाने का भी अधिकार है और विरोध करने का भी। जो लोग इस संबंध में सुझाव देना चाहते हैं, दे सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि कानून के तहत आने वाले नियमों का खाका खींचा जा रहा है। गौरतलब है कि नागरिकता कानून को लेकर देश भर में जबरदस्त विरोध छिड़ा है। कई जगह विरोध ने हिंसक रूप भी अख्तियार कर लिया है। दिल्ली में जहां कई मेट्रो स्टेशन बंद करने पड़े हैं, वहीं यूपी के कई जगहों से आगजनी की खबरें भी आई हैं।
1987 से पहले जन्मे सभी भारतीय
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि भारत में जिनका जन्म 1987 के पहले हुआ या जिनके मात-पिता की पैदाइश 1987 के पहले की है, वो कानून के मुताबिक भारतीय नागरिक हैं और नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशव्यापी एनआरसी होने की स्थिति में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है । नागरिकता कानून के 2004 के संशोधनों के मुताबिक असम में रहने वालों को छोड़कर देश के अन्य हिस्से में रहने वाले ऐसे लोग जिनके माता या पिता भारतीय नागरिक हैं, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भी भारतीय नागरिक ही माना जाएगा । नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हाल में बने कानून के बारे में सोशल मीडिया पर कई संस्करण प्रसारित किए जाने के बीच यह स्पष्टीकरण आया है । अधिकारी ने कहा कि जिनका जन्म 1987 के पहले भारत में हुआ हो या जिनके माता-पिता का जन्म उस साल के पहले हुआ है, उन्हें कानून के तहत भारतीय माना जाएगा। असम के मामले में भारतीय नागरिक होने की पहचान के लिए 1971 को आधार वर्ष बनाया गया है।
००

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »