जैविक खाद्य महोत्सव में होगा महिला उत्पादकों का वित्तीय समावेश

नईदिल्ली,21 फरवरी (आरएनएस)। केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि जैविक खाद्य महोत्सव क्षमता निर्माण एवं आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महिला उद्यमियों को व्यापक अवसर प्रदान करेगा। बादल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में इस तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने महिलाओं के वित्तीय समावेश और सशक्तिकरण के लिए नियमित रूप से इस तरह के प्लेटफॉर्म मुहैया कराने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। बादल ने कहा कि सरकार अब पहले के मुकाबले ज्यादा बार और देश के विभिन्न हिस्सों में जैविक खाद्य महोत्सव का आयोजन करने पर विचार कर रही है। किसी विशेष क्षेत्र में जैविक खाद्य महोत्सव का आयोजन करते समय वहां के अनूठे जैविक उत्पादों को ध्यान में रखा जाएगा।
हरसिमरत कौर बादल और केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास तथा वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने संयुक्त रूप से जैविक खाद्य महोत्सव का उद्घाटन किया। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबाचौधरी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली भी इस अवसर पर उपस्थित थे। महिला उद्यमियों के लिए जैविक खाद्य महोत्सव का आयोजन दरअसल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र (एमओयू) का परिणाम है जिसका उद्देश्य महिला उद्यमियों का क्षमता निर्माण करना है।
बादल ने कहा कि भारत में जैविक उत्पादों और बाजार के लिए असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्र प्राकृतिक तौर पर जैविक हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा कि वैसे तो दुनिया के अन्य देश जैविक उत्पादन की ओर उन्मुख होने के लिए विशेष रूप से प्रयासरत हैं, लेकिन भारत को प्राकृतिक रूप में बढ़त हासिल है जिससे निश्चित तौर पर लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह का जैविक महोत्सव निकट भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है।
इरानी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय जैविक खाद्य महोत्सव के जरिए विभिन्न प्रौद्योगिकी समूह के साथ सहभागिता कर सकता है, ताकि महिला उद्यमियों को नवीनतम प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराई जा सके।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (एफपीआई) सचिव पुष्पा सुब्रमण्यम ने कहा कि एफपीआई मंत्रालय इस महोत्सव के जरिए महिला उद्यमियों की उपलब्धियों को दर्शाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में खाद्य एवं पेय उद्योग विनिर्माण क्षेत्र में पांचवां सबसे बड़ा सेक्टर है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में सर्वाधिक जैविक उत्पादक भारत में ही हैं।
जैविक खाद्य महोत्सव का आयोजन 6,000 वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में किया जा रहा है। यह अपनी तरह का पहला ऐसा आयोजन है जिसमें 25 से भी अधिक राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की 180 से भी अधिक महिला उद्यमी और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) भाग ले रहे हैं। इसमें देश भर के अत्यंत रोचक उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। अरुणाचल प्रदेश का कीवी, लद्दाख का काला गेहूं एवं पेस्टो सॉस और उत्तराखंड की चिया बीज कुकीज एवं खुबानी तेल इस महोत्सव के प्रदर्शकों के पास उपलब्ध हैं और लोग इन स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों के स्वाद का आनंद ले सकते हैं। यह महोत्सव महिला उत्पादकों को बाजार एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) से जोडऩे की कोशिश करेगा जिससे उनके वित्तीय समावेश में सुविधा होगी।
यह महोत्सव आम जनता के लिए खुला है जो विभिन्न राज्यों के जैविक एवं स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों की विभिन्न किस्मों के स्वाद का आनंद उठा सकते हैं। यही नहीं, इस महोत्सव में आने वाले लोगों को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उगाये जाने वाले विभिन्न जैविक उत्पादों के बारे में आवश्यक जानकारियां प्राप्त होंगी। इस महोत्सव का आयोजन 21 से 23 फरवरी, 2020 तक नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में किया जा रहा है। महोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम) द्वारा औद्योगिक साझेदार ‘भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई)Ó के सहयोग से किया जा रहा है।
नवाचार पर फोकस करते हुए इस महोत्सव में विशेष रूप से तैयार किया गया ‘नवाचार मंडपÓ स्थापित किया गया है, ताकि अभिनव जैविक खाद्य पदार्थों, पैकेजिंग सॉल्यूशंस और मशीनरी को प्रदर्शित किया जा सके।
जैविक खाद्य महोत्सव की एक खास बात यह है कि इस दौरान कई जाने-माने शेफ के साथ पारस्परिक संवाद सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें यह बताया जाएगा कि हमारे दैनिक भोजन में जैविक अवयवों को कैसे शामिल किया जा सकता है।
महोत्सव के दौरान जो प्रयास किए जा रहे हैं वे खरीदारों के साथ स्थानीय उत्पादकों के सीधे जुड़ाव को बढ़ाकर भारत के लिए ‘जैविकÓ ब्रांडिंग को मजबूत करने, जैविक उत्पादन की प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि करने, निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने से जुड़े भारत के विजन में उल्लेखनीय योगदान करने और महिला किसानों की आमदनी एवं इससे जुड़े सशक्तिकरण पर सीधा असर डालने पर केन्द्रित हैं।
एपीडा की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2017-18 में लगभग 1.70 मिलियन एमटी प्रमाणित जैविक उत्पादों का उत्पादन हुआ, जिसमें खाद्य उत्पादों जैसे कि तिलहन, गन्ना, मोटे अनाज एवं बाजरा, कपास, दालों, औषधीय पौधों, चाय, फलों, मसालों, सूखे मेवे, सब्जियों, कॉफी इत्यादि की सभी किस्में शामिल हैं।
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