वनाधिकार के दावे और भूमि की मान्यता देने में छत्तीसगढ़ का देश में दूसरा स्थान

रायपुर, 12  अगस्त (आरएनएस)। अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनके द्वारा काबिज वन भूमि की मान्यता देने के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में दूसरा राज्य बन गया है। राज्य में 4 लाख से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रकों का वितरण कर 3 लाख 42 हजार हेक्टेयर वनभूमि पर मान्यता प्रदान की जा चुकी है वहीं सामुदायिक वनाधिकारों के प्रकरणों में 24 हजार से अधिक प्रकरणों में सामुदायिक वनाधिकार पत्रकों का वितरण करते हुए 9 लाख 50 हजार हेक्टेयर भूमि पर सामुदायिक अधिकारों की मान्यता दी गई है।

भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वनाधिकार पत्रकों के वितरण के मामले ओडिशा और वन भूमि की मान्यता प्रदान करने के मामले में महाराष्ट्र राज्य पहले नंबर पर है जबकि इन दोनो ही मामलें में छत्तीसगढ़ राज्य का पूरे देश में दूसरा स्थान है। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने कार्यभार संभालते ही 23 जनवरी को वन अधिकारों को लेकर राजधानी रायपुर में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कर इसके क्रियान्वयन की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पात्र दावाकर्ताओं को उनका वनाधिकार मिले यह राज्य सरकार ही प्राथमिकता है । इसके साथ ही पर्याप्त संख्या में प्रत्येक गांव में निवासियों को वनभूमि पर वर्णित सामुदायिक अधिकार जैसे निस्तार का अधिकार, गौण वन उत्पादों पर अधिकार, जलाशयों में मत्स्य आखेट तथा उत्पाद के उपयोग, चारागाह का उपयोग, सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार आदि प्राप्त हो सके।  मुख्यमंत्री  बघेल इसके साथ ही 30 मई को बस्तर संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में और 3 जून को सरगुजा संभागीय मुख्यालय अंबिकापुर में वनाधिकार की संभागीय कार्यशालाओं में स्वयं उपस्थित होकर इसके क्रियान्वयन को लेकर मार्गदर्शन दिया ताकि मैदानी स्तर पर कार्यरत अमलों का उत्साहवर्धन हो सके।

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