यज्ञों की आहुति और संतो की वाणी से शुद्ध होता कुंभ का वातावरण
राजिम, 06 फरवरी (आरएनएस)। राजिम कुंभ तो वैसे माघी पूर्णिमा से महाषिवरात्रि तक आयोजित होता है लेकिन इसका मुख्य षुरूआत विराट संत-समागम से होता है। संत समागम स्थल में संतो के लिए विषेष रूप से कुटियां तथा यज्ञ षाला का निर्माण कराया जाता है। जिसमें संत समागम मे आए संत महात्माओं द्वारा विभिन्न प्रकार के यज्ञ अनुष्ठान कों पूरी वैदिक रीतियों के साथ संपन्न कराया जाता है तथा संत समागम के विषाल मंच से संतो के प्रवचन आषीषवचन के रूप में श्रध्दालुओं को सुनने का पुण्य लाभ मिलता है। कुंभ के दौरान संत समागम स्थल में होने वाले यज्ञों में पडऩे वाले आहुति तथा संतो के वचनों की ध्वनि से पूरे क्षेत्र का वातावरण षुध्द और पवित्र होकर भक्तिमय हो जाता है। पखवाड़े भर तक चलने वाले ये संत समागम का संपूर्ण कार्यक्रम धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल अपनी देखरेख तथा मार्गदर्षन मेें संपन्न कराते है तथा आने वाले प्रत्येक संतो का आत्मीय स्वागत करते हुए उनकी व्यवस्था का भी ख्याल रखते है।