गोठानों से पशुओं की नस्ल सुधार, जैविक खेती के साथ गांव बनेंगे समृद्ध : भूपेश बघेल

रायपुर, 06 जुलाई (आरएनएस)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठान, घुरूवा और बारी हमारे पुरखों की परम्परा रही हैं। हमने इसे पुनर्जीवन प्रदान किया है। ये गायों के नस्ल सुधार के साथ ही किसानों और समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज यहां रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बनचरौदा में सुराजी गांव योजना के तहत बने आदर्श गौठान का अवलोकन कर रहे थे। ग्राम बनचरौदा में 4 एकड़ में गौठान, 8 एकड़ में चारागाह और 3 एकड़ में बाड़ी बनायी गई है। मुख्यमंत्री ने गौठान में नीम का पौधा भी रोपा। उन्होंने यहां उपस्थित बिहान महिला समूह से चर्चा कर उनके द्वारा निर्मित जैविक कीटनाशक, दवा और अन्य खाद्य सामग्रियों का अवलोकन किया और उनकी सरहना भी की। मुख्यमंत्री बघेल के बनचरौदा पहुंचने पर ग्रामीणों ने खुमरी पहनाकर उनका आत्मीय स्वागत किया।
बघेल ने उपस्थित ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गायों को पालने में सबसे बड़ी समस्या उनके चारा और पानी की रहती है। गांवों में गौठानों बनने से न केवल उनके चारा और पानी की व्यवस्था हल हुई है बल्कि ये एक डे केयर सेंटर के रूप में रहेंगे। पहले किसानों को मवेशियों से फसल बचाने के लिए गांव के सभी खेतों की फेसिंग करना पड़ता था परंतु अब गौठान बन जाने से उन्हें इसमें पैसा खर्च नही करना पड़ेगा और अब आसानी से वे दो फसल ले सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर से अभी लोग सिर्फ छैना बनाते है परंतु गौठानों में निकलने वाले गोबर से गोबर गैस, वर्मी खाद, कम्पोस्ट खाद बनाकर आर्थिक उपार्जन किया जा सकेगा। इसके अलावा समूह की महिलाएं इससे जैविक खाद, धूप, उपटन सहित गौमूत्र से विभिन्न तरह के कीट प्रबंधन दवाएं बनाकर बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकेंगी। गौठानों में देशी गायों के नस्ल सुधार से किसानों को ज्यादा दूध मिलेगा वहीं इससे उनकी आय भी बढ़ेगी। जैविक खाद के बनने से जहां कृषि की लागत कम होगी वहीं रासायनिक खाद से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा।

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