अंर्तराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग महोत्सव का हुआ आयोजन
भिलाई, 21 जून (आरएनएस)। करें योग रहे निरोग के मूल मंत्र को चरितार्थ करते हुए योग महोत्सव का आगाज बॉक्सिग के खिलाडिय़ों एवं अन्य 100 से भी अधिक नागरिकों के द्वारा प्रात मैराथन दौड के साथ प्रारंभ हुआ। मैराथन दौड गुरुद्वारा नेहरू नगर, भिलाई से प्रारंभ होकर आयोजन स्थल राधा कृष्ण मंदिर नेहरू नगर पूर्व भिलाई में पहुंच कर योग सभा में तब्दील हुआ। पंचम अंर्तराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग आयोजन समिति भिलाई अग्रवाल समाज भिलाई बांके बिहारी चैरिटेबल ट्रस्ट नेहरू नगर रेसीडेंस एसोसियेशन ज्येष्ट नागरिक मंच भिलाई एवं शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में योग महोत्सव का आयोजन राधा कृष्ण मंदिर नेहरू नगर पूर्व भिलाई में प्रात 6.45 बजे से किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष गंगाजली शिक्षण समिति के चेयरमेन आई.पी.मिश्रा, मुख्य अतिथि संजय रुगंटा चेयरमेन रुगंटा ग्रुप ऑफ इंस्टीटूशन, भिलाई विशिष्ट अतिथि बंसीलाल अग्रवाल अध्यक्ष अग्रसेन जनकल्याण समिति सेक्टर-6 भिलाई बी.आई.टी.के अध्यक्ष समाजसेवी एवं उद्योगपति विजय गुप्ता एवं संरक्षक बिसरा राम यादव प्रात संघचालक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ थे। अतिथियों ने भारत माता एवं सरस्वती माता के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम कर शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत पौधे से किया गया। इस अवसर पर योग स्थल में उपस्थित गणमान्य नागरिकों नवयुवको एवं छात्रों को संजय रुगंटा द्वारा पर्यावरण के संरक्षक हेतु शपथ दिलवाया गया कि वे भारत के संविधान में निहित मौलिक कत्र्तव्य पर्यावरण संरक्षण का पालन सुनिश्चित कर पर्यावरण को बचाने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे एवं भारतीय स्वदेशी वस्त्र की पहचान खादी के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष गंगाजली शिक्षण समिति के चेयरमेन आई.पी.मिश्रा, के द्वारा प्रार्थना मंत्र योगन चित्तस्य पदेन वाचा मल शरीरस्य वैद्यकेन। के साथ योगाभ्यास प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में बी.आई.टी. के अध्यक्ष, समाजसेवी एवं उद्ययोगपति विजय गुप्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि अब योग केवल भारत का ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय हो गया है। इसमें भारत का बडा योगदान है। अन्य देशों में योग को बडे ही शान शौकत के साथ अपनाया गया है। बंसीलाल अग्रवाल ने सभा को संबंधित करते हुए कहा कि योग को केवल आज ही नही करना है बल्कि योग को जीवन और व्यवहार में शामिल करना चाहिए। योग का कर्म और धर्म से संबंध है। आज की व्यस्तता पूर्ण एवं तनाव पूर्ण जीवन के लिए योग आवश्यक है। योग किया का अभ्यास बिहार योग विद्यालय से प्रशिक्षित योग अनुदेशक अरुण शुक्ला द्वारा योग किया से पूर्व योग के विषय में जानकारी दिया गया कि ईश्वर के तीन अवतार महावीर बुद्ध एवं पतंजलि थे। पतंजलि को योग के प्रणेता माना जाता है इन्होंने योग के 197 योग सूत्रों का वर्णन किया है जिसमें बताया गया है कि योग के 8 भाग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, अंतरण, समाध एवं धारणा होते है। गायत्री मंत्र के तीन बार ओम का उच्चारण के साथ योग किया का अभ्यास प्रारंभ करवाया गया। पंजा योग, कंधो का आसन, गर्दन का अम्यास, ताडासन, वृक्ष आसन, अद्र्ध चक्र आसन, त्रिकोण आसन, भद्रा आसन, मकर अभ्यास भुजंग आसन, सूर्य नमस्कार, शव आसन, प्राणयाम, कपाल भारती, अनुलोम विलोम, भस्तिका प्राणायाम, भ्रमरी प्राणायाम का अभ्यास करवाया गया। आपने योग को महत्व को बताते हुए कहा कि ये योग का अभ्यास रोज करने से कमर दर्द, कंधे, पीठ दर्द तो रहेगा नही और आपकी चिक्सिकों से दूरी बन जायेगी।