चंद्रबाबू नायडू का बताया एक्सपर्ट ईवीएम चोर निकला

नई दिल्ली ,14 अपै्रल (आरएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू शनिवार को चुनाव आयोग के पास पहले फेज के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत लेकर पहुंचे। चंद्रबाबू नायडू ने यह दावा अपने एक एक्सपर्ट के हवाले से किया था। जब चुनाव आयोग ने उनके इस एक्सपर्ट को अपने दावे के बारे में और ज्यादा डीटेल के साथ आने के लिए कहा, तो पता चला कि यह एक्सपर्ट और कोई नहीं बल्कि हैदराबाद का रहने वाला रिसर्चर हरि प्रसाद है, जो 2010 में ईवीएम चोरी के मामले में गिरफ्तार हुआ था। हरि प्रसाद टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा था, जिसने शाम को 4 बजे चुनाव आयोग पहुंचकर अधिकारियों से मुलाकात की थी। चुनाव आयोग के अधिकारियों को जब कुछ शक हुआ तो उन्होंने नायडू के एक्सपर्ट हरि प्रसाद का इतिहास खंगाला। शुरुआती जांच में पता चला कि यह वही शख्स है जो हमेशा से दावा करता आया है कि ईवीएम में आसानी से गड़बड़ी की जा सकती है। अपने इस दावे को साबित करने के लिए उसने एक विदेशी एक्सपर्ट की मदद से एक ईवीएम भी चुराई थी। चुनाव आयोग का शक उस वक्त यकीन में बदल गया जब हरि प्रसाद टीडीपी की लीगल सेल के साथ शाम को 4 बजे उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन से मुलाकात करने पहुंचा। जैसे ही वह सुदीप जैन के दफ्तर पहुंचा, अधिकारियों ने उसका आपराधिक रेकॉर्ड सामने रख दिया और विरोध जताया। इसके बाद हरि प्रसाद और उसके साथ आए बाकी लोग जैन के दफ्तर से निकल गए। इसके तुरंत बाद चुनाव आयोग ने टीडीपी लीगल सेल के चीफ को सख्त लहजे में एक पत्र लिखा और पूछा कि आखिर नायडू के साथ आए प्रतिनिधिमंडल में एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कथित एक्सपर्ट को जगह कैसे मिली?
नायडू ने की थी शिकायत
दरअसल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू शनिवार को ईवीएम की शिकायत लेकर नई दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात कर आरोप लगाया कि गुरुवार को पहले चरण के दौरान भारी संख्या में ईवीएम खराब हुईं और ऐसे में 150 पोलिंग स्टेशनों पर पुनर्मतदान कराया जाए। उन्होंने श्एक्सपर्टश् के हवाले से दावा किया था कि आंध्र प्रदेश में पहले चरण के दौरान 4,583 ईवीएम में खराबी आई।
2009 में साबित नहीं कर पाया था ईवीएम में गड़बड़ी
गौरतलब है कि हरि प्रसाद को साल 2010 में ईवीएम चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में उसे जमानत मिल गई थी। वह ईवीएम पर 2009 से ही सवाल उठाता रहा है। चुनाव आयोग द्वारा 2009 में आयोजित हैकथॉन में भी उसने हिस्सा लिया था, मगर यह साबित नहीं कर पाया कि ईवीएम को हैक या टैंपर किया जा सकता है।
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