कोर्ट में सज्जन को सीबीआई ने बताया 1984 दंगों का ‘सरगना
नयी दिल्ली ,08 अपै्रल (आरएनएस)। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की जमानत का सोमवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध करते हुये कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हुये जघन्य अपराधों के वह ”सरगनाÓÓ थे जिसमें सिखों का ‘नरसंहारÓ हुआ। कांग्रेस के पूर्व सांसद 73 वर्षीय सज्जन कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर, 2018 के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को एक मामले में दोषी ठहराते हुये उम्र कैद की सजा सुनाई है।
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने सज्जन कुमार की जमानत की अर्जी 15 अप्रैल के लिये सूचीबद्ध करते हुये जांच एजेन्सी को निर्देश दिया कि इस पूर्व सांसद की संलिप्तता वाले अन्य मामले के मुकदमे की प्रगति से अवगत कराया जाये। जांच ब्यूरो की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि अगर सज्जन कुमार को जमानत पर रिहा किया गया तो यह न्याय का मखौल होगा क्योंकि 1984 के सिख विरोधी दंगे से संबंधित एक अन्य मामले में पटियाला हाउस की अदालत में उन पर मुकदमा चल रहा है। उन्होंने कहा कि सिखों का नरसंहार एक बर्बर अपराध था। वह (कुमार) नेता थे और इसके सरगना थे। सज्जन कुमार को उच्च न्यायालय ने एक और दो नवंबर, 1984 की रात दक्षिण पश्चिम दिल्ली के राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों को जिंदा जलाने और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आग लगाने की घटना से संबंधित मामले में सजा सुनाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार कर हत्या किये जाने के बाद बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे भड़क गये थे। इन दंगों में अकेले दिल्ली में ही 2700 से अधिक सिख मारे गये थे। इस मामले में सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार के वकील ने पीठ से कहा कि इस मामले की एक प्रमुख गवाह ने पहले चार बयान दिये जिनमें उसने कुमार का नाम ही नहीं लिया था परंतु बाद में अपने बयान में कांग्रेस के इस पूर्व नेता का नाम लिया।
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