शांति और सतत विकास को बढ़ावा देने उपराष्ट्रपति चलायेंगे राष्ट्रव्यापी अभियान
नईदिल्ली,15 मार्च (आनएनएस)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने घोषणा की है कि वे कानून का शासन, लोकतंत्र, सतत विकास और शांति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेंगे।
यूनिवर्सिटी फॉर पीस, कोस्ट राइसा द्वारा डॉक्टर आनोरिस कासा का सम्मान मिलने के बाद आज स्वर्ण भारत ट्रस्ट विजयवाड़ा द्वारा आज आयोजित सम्मान समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानद डाक्ट्रेट प्राप्त करने पर वे दो गुना सम्मानित महसूस कर रहे हैं। विश्व गांधी जी की 150वीं जयंती का स्मरण कर रहा था।
गांधी जी ने विश्व के सामने अहिंसा की शक्ति का प्रदर्शन किया था। नायडू ने कानून के शासन को मजबूत बनाने, भ्रष्टाचार को समाप्त करने, शांति और सतत विकास को बढ़ावा देने तथा क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के महत्व के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने की जरूरत पर जोर दिया। नायडू ने घोषणा की कि वे अन्य देशों में अपनी यात्राओं के दौरान आतंकवाद को दूर करने के लिए संयुक्त कार्रवाई करने की जरूरत के साथ-साथ इन सभी मुद्दों को भी उठायेंगे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को अवरूद्ध करने के चीन के अभी हाल के निर्णय पर नाराजगी जाहिर करते हुए नायडू ने कहा कि इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की अत्याधिक जरूरत महसूस होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि शांति और विकास का अटूट संबंध है। शांति एक देश और पूरी दुनिया की प्रगति की एक सबसे बड़ी जरूरत है।
यूनिवर्सिटी फॉर पीस, द्वारा उन्हें दिया गया सम्मान वैश्विक स्वीकार्यता और वसुधैव कुटुम्बकम के हमारे दर्शन में निहित सदियों पुराने शांति और सद्भाव के भारतीय मूल्यों की पहचान है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है।
यह देखते हुए कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और विश्वशांति और विकास की राह में बड़ा खतरा बना हुआ है, नायडू ने कहा कि भारत अनेक वर्षों से इसका शिकार रहा है। उन्होंने दुनिया के सभी देशों का एकजुट होकर आतंकवाद के खतरे से निपटने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में व्यापक वार्ता का जल्द से जल्द समापन किया जाए।
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