पाकिस्तान से वापस लिया एमएफएन का दर्जा

नई दिल्ली ,15 फरवरी (आरएनएस)। पुलवामा हमले को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज सुबह हुई अहम बैठक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ पहला बड़ा कदम उठाया गया। सरकार ने सुरक्षा संबन्धी कैबिनेट की बैठक में पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा वापस लेने का फैसला लिया है;
भारत ने पाकिस्तान को 1999 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों को बताया कि सुरक्षाबल इस हमले में शामिल और समर्थन देने वालों के खिलाफ हरसंभव कदम उठाएंगे। उन्होंने बताया कि पीएम के नेतृत्व में की बैठक हुई और पुलवामा अटैक के आकलन पर चर्चा हुई। सीसीएस ने शहीद जवानों के सम्मान में 2 मिनट का मौन रखा और पीडि़त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। जेटली ने बताया कि घटना की विस्तृत जानकारी पर चर्चा हुई है लेकिन सब कुछ शेयर नहीं किया जा सकता है। सीआरपीएफ शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके परिजनों को सौंपने के लिए कदम उठा रही है। पीएम के सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुई सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी की बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हिस्सा लिया।
पाकिस्तान को होगा करोड़ो का नुकसान
2018 में आई वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच तकरीबन 14 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है। इसमें अनुमान जताया गया था कि दोनों देशों के बीच व्यापार 2.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया जा सकता है। पाकिस्तान चीनी, चाय, ऑयल केक, पेट्रोलियम ऑयल, कॉटन, टायर, रबड़ समेत कुछ 14 चीजों का आयात भारत से करता है। एसोचौम की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान को आयात भारत के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 0.41 प्रतिशत है। वहीं भारत को पाकिस्तान से होने वाला आयात महज 0.13 फीसदी है।
पाकिस्तान को करेंगे अलग-थलग
जेटली ने कहा कि विदेश मंत्रालय हरसंभव कूटनीतिक कदम उठाएगा, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग किया जा सके। इसके लिए मौजूद साक्ष्यों को सामने रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि मोस्ट फेवर्ड नेशन का पाकिस्तान को दिया गया दर्जा वापस ले लिया गया है। वाणिज्य मंत्रालय इसके संबंध में जल्द सूचना जारी करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 33 साल पहले भारत ने यूएन में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह पारित नहीं हुआ क्योंकि आतंकवाद की परिभाषा पर सबकी सहमति बाकी थी। विदेश मंत्रालय प्रयास करेगा कि आतंकवाद की परिभाषा को संयुक्त राष्ट्र में जल्द स्वीकार किया जाए। हालांकि इस मामले में चीन बाधा बना हुआ है।
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