प्रधानमंत्री आज उत्तर प्रदेश में झांसी जाएंगे

नईदिल्ली ,14 फरवरी (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 फरवरी उत्तर प्रदेश में झांसी का दौरा करेंगे जहां वे विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे।
प्रधानमंत्री झांसी में रक्षा गलियारे का शिलान्यास करेंगे। भारत सरकार ने देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा गलियारा बनाने का फैसला किया है। झांसी उत्तर प्रदेश में बनाये जाने वाले रक्षा गलियारे के छह महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। प्रधानमंत्री ने फरवरी,2018 में उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मेलन में राज्य में ऐसा ही एक और गलियारा बुंदेलखंड क्षेत्र में भी बनाये जाने की घोषणा की थी।
मोदी 297 किलोमीटर लंबे झांसी-खैरार रेल सेक्शन के विद्युतीकरण का भी उद्घाटन करेंगे। इससे इस सेक्शन पर रेलगाडिय़ों का आवागमन तेज हो जाएगा और साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। प्रधानमंत्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई पश्चिमी-उत्तर अन्तर-क्षेत्रीय बिजली पारेषण लाइन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
प्रधानमंत्री पहाड़ी बांध आधुनिकीकरण परियोजना का भी उद्घाटन करेंगे। यह बांध धसान नदी पर बनाया गया है।
सभी के लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की सरकार की योजना के तहत प्रधानमंत्री बुंदेलखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पाइप लाइन के जरिये पानी की आपूर्ति योजना का शिलान्यास भी करेंगे। यह परियोजना इस नजरिये से महत्वपूर्ण है कि इससे सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की आपूर्ति हो सकेगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री झांसी शहर के लिए ‘अमृतÓ के तहत पेयजल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण की भी आधारशिला रखेंगे।
मोदी झांसी में पुराने रेल डिब्बों को नया बनाने के वर्कशॉप का शिलान्यास करेंगे। इससे बुंदेलखंड क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं बनेगी।
प्रधानमंत्री झांसी-माणिकपुर और भीमसैन-खैरार सेक्शन पर 425 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग के दोहरीकरण की परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इससे न सिर्फ रेलगाडिय़ों की आवाजाही आसान होगी, बल्कि बुंदेलखंड क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री इससे पहले वाराणसी और वृंदावन भी गये थे। वाराणसी में उन्होंने प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित किया था और वृंदावन में वंचित तबकों के स्कूली छात्रों को तीन अरबवीं भोजन की थाली परोसी थी। (साभार-पीआईबी)
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