सत्ता विरोधी हवा से नुकसान खत्म करने कटेेंगे सांसदों के टिकट
नई दिल्ली ,14 फरवरी (आरएनएस)। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा सांसदों के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की भूमिका सबसे अहम होगी। पीएमओ ही चुनाव के लिए अधिसूचना जाारी होने से पहले सभी सांसदोंं का अलग-अलग रिपोर्ट पीएमओ के जरिए पीएम तय करेंगे भाजपा सांसदों का भविष्यकार्ड तय करेगा। टिकट पाने केमानक पर खरे नहीं उतरने वाले सांसदों को किसी भी सूरत में टिकट नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि पीएमओ ने सभी सांसदों से अपने 5 साल केकार्यकाल के पाई पाई का हिसाब हर हाल में 20 फरवरी तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
एक वरिष्ठï मंत्री के मुताबिक जिन सीटों पर भाजपा नहीं जीती है, वहां की रिपोर्ट संगठन तैयार कर रहा है, मगर जिन सीटों पर पार्टी काबिज हैं, वहां सीधे पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका होगी। चूंकि हालिया विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी पीएम की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। ऐसे में वह नहींं चाहते कि क्षेत्र में कामकाज के लिहाज से नकारे साबित हुए अलोकप्रिय सांसदों को टिकट दे कर मुसीबत मोल ली जाए। बड़ी संख्या में टिकट काट कर पीएम यह संदेश देंगे कि ऐसे सांसदों के साथ उनकी कोई सहानुभूति नहीं है। हालांकि तीन राज्योंं में हार केबाद चर्चा थी कि आम चुनाव में अब कम संख्या में सांसदोंं केटिकट कटेंगे, मगर पीएम इस मुद्दे पर सांसदों के साथ कोई रियायत नहीं बरतना चाहते।
गौरतलब है कि पीएमओ ने सांसदों से अपने कार्यकाल की सभी गतिविधियों, सांसद निधि, विकास कार्य, पार्टी के कार्यक्रम, केंद्रीय योजनाओं के प्रसार में हिस्सेदारी समेत अन्य क्रियाकलापों की विस्तार से जानकारी मांगी है। पीएमओ की योजना 20 फरवरी तक सांसदों से रिपोर्ट हासिल करने के बाद अगले दो हफ्ते में इन सांसदों की विभिन्न पैमाने पर खरा उतरने संबंधी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की है। चुनाव की अधिसूचना अगले महीने के पहले हफ्ते में जारी हो सकती है। पार्टी की योजना अधिसूचना जारी होते ही टिकट वितरण का सिलसिला शुरू करने की है।
शाह का भार होगा कम
दरअसल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह आम चुनाव के कई मोर्चे पर लगातार व्यस्त हैं। उनके सामने सभी सीटों पर उम्मीदवारों का चयन, गठबंधन, विस्तार योजना को अमली जामा पहनाने का बेहद व्यस्त कार्यक्रम है। शाह इस समय बिहार में जदयू-लोजपा के साथ सीटें चिन्हित करने, महाराष्टï्र में शिवसेना से तालमेल बिठाने और उत्तर प्रदेश में दो नाराज सहयोगियों को साधने जैसे अहम कार्य में व्यस्त हैं। ऐसे में अगर सांसदों के भविष्य का फैसला सीधे पीएम मोदी करेंगे तो शाह का भार कम होगा।
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