राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीएम ने दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली ,30 जनवरी (आरएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 71वीं पुण्यतिथि पर आज राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के अध्यक्षों ने भी बापू को राजघाट पर श्रद्धांजलि दी।
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने ट्वीट में कहा, ‘शहीद दिवस पर हम महात्मा गांधी और उन अनगिनत स्वतन्त्रता सेनानियों को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।Ó उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राजघाट जा कर उनकी पावन स्मृति में श्रृद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने ट्वीट किया कि गांधी जी सत्य और अहिंसा के शाश्वत मूल्यों का साकार रूप थे, उनका सम्पूर्ण जीवन ही मानवतावाद की अभिव्यक्ति रहा। वे सम्पूर्ण मानवता के लिए एक आदर्श पुरुष हैं।
नायडू ने ट्वीट किया कि आज भी उनके विचार और आदर्श, विश्व में नई चुनौतियों से जूझती मानवता के लिए प्रासंगिक और अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि जीव मात्र के प्रति उनका करुणा भाव, उनका समन्वय भाव, अपने आदर्शों के प्रति संकल्प तथा उन आदर्शों का अपने जीवन में दृढ़ता से पालन करना, उनके इन महान गुणों ने विश्व के कई महान नेताओं और व्यक्तियों को प्रेरणा दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ‘पूज्य बापू को उनकी पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन। उन्होंने कहा कि बापू को उनकी पुण्यतिथि पर स्मरण कर रहा हूं । हम उनके द्वारा दिखाये गए मार्ग एवं उनके मूल्यों पर चलने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं ।श् मोदी ने कहा कि हम उन तमाम शहीदों को नमन करते हैं जिन्होंने देश के लिये कुर्बानी दी । यह देश उनकी सेवा और बलिदान के प्रति सदा आभारी रहेगा । Ó बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व को सत्य और अहिंसा के लिए प्रेरित करने वाले महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि बापू को उनकी पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। महात्मा गांधी वीवीआईपी कल्चर और नेताओं को दी जाने वाली सुरक्षा के सख्त खिलाफ थे। यहां तक कि जब केंद्र सरकार ने उन पर जान के खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा की आवश्यकता बताई थी, तब भी उन्होंने इनकार कर दिया था। गांधी ने अधिकारियों को लगभग चेतावनी भरे लहजे में यह भी कहा था कि अगर उन पर जबरदस्ती सुरक्षा थोपी गई तो वह दिल्ली छोड़ देंगे।
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