राफेल डील में फ्रांस को दिया गया 50 फीसदी से ज्यादा भुगतान
नई दिल्ली ,20 जनवरी (आरएनएस)। राफेल जेट विमानों की खरीद पर संसद और संसद के बाहर भी घमासान लगातार जारी है। इस बीच खबर है कि भारत ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 59,000 करोड़ रुपये की कुल कीमत में से आधे से अधिक का पेमेंट भारत ने अब तक कर दिया है। ये विमान 2019 नवंबर से 2022 अप्रैल के बीच भारत को डिलिवर किए जाएंगे। राफेल सौदे में अनियमितता का आरोप लगाकर विपक्षी दल सरकार को चुनावी मौसम में घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
भारत की जरूरतों के अनुसार पूरी तरह से उपकरणों से लैस 13 विमान सितंबर-अक्टूबर 2022 में ही पूरी तरह से प्रयोग करने लायक हो सकेंगे। भारत पहुंचने के बाद भी विमानों को तत्काल प्रयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि अगले छह महीनों तक इन्हें विभिन्न सॉफ्टवेयर सर्टिफिकेशन से गुजरना होगा। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, श्लगभग 34,000 करोड़ की रकम माइलस्टोन लिंक्ड इंस्टॉलमेंट (पूर्व निर्धारित शर्तों के आधार पर सिलसिलेवार तरीके से) के तौर पर दी जा चुकी है।
विपक्ष डील नहीं होने देना चाहता: रक्षा मंत्री
राफेल डील पर जारी महासंग्राम के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को विपक्ष पर मामले में जनता के बीच गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया। सीतारमण ने पूछा कि क्या वे कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्विता के प्यादे बन गए हैं या फिर 36 फाइटर जेट की खरीद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
विमान की कीमतों के बढऩे को जेटली ने बताया बकवास
वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने अपने लेख में दावा किया है कि मोदी सरकार ने 9 फीसदी कम दाम पर विमान नहीं खरीदे हैं। राम का तर्क है कि विमान की कीमतें 14.2: अधिक हैं। लेख में उन्होंने लिखा,नई डील में यह कीमत 1.3 बिलियन यूरो तक पहुंच गई, जो प्रथम दृष्टि में पहेल की तुलना में कम है। हालांकि, यह कीमत पूर्व की तुलना में संख्या में काफी कम विमानों के लिए तय हुई तो इस लिहाज से प्रति विमान की कीमत 11.11 मिलियन से बढ़कर 36.11 मिलियन हो गई। इस तरह से विमान की कीमतों में 14.2: का उछाल आया। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस लेख को बकवास अंकगणित करार दिया।
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