कहीं भाजपा के हिंदुत्व और राष्टï्रवाद पर निशाना तो नहीं साध रखा संघ?

नई दिल्ली,18 जनवरी (आरएनएस)। बीते गुरूवार को आगामी आम चुनाव में भाजपा के लिए अहम राम मंदिर और सेना पर राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ ने विपक्ष को बड़ा सियासी हथियार थमा दिया है। हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान की तरह ही संघ ने खासतौर से राम मंदिर मामले में सफाई दे दी है, मगर सियासी हलके के में इसे राम मंदिर मुद्दे को गरमाए रखने के क्रम में हिंदुत्व और राष्टï्रवाद पर केंद्र सरकार पर सीधे हमले की तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि संघ ने राम मंदिर के मुद्दे को ऐसे समय में तूल दिया था जब केंद्र की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम तय हुए थे। इस चुनाव में भाजपा को अपने तीन अहम राज्य गंवानी पड़ी थी।
गौरतलब है कि संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कुंभ में एक कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2025 में राम मंदिर निर्माण की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद देश में तेजी से विकास भी होंगे। इसी गुरूवार को नागपुर में संघ प्रमुख ने बिना युद्घ के सैनिकों की शहादत पर न सिर्फ सवाल खड़ा किया। बल्कि यह भी कहा कि बिना युद्घ के सैनिकों का शहीद होना बतलाता है कि हम ठीक ढंग से अपना काम नहीं कर रहे। हालांकि भैयाजी जोशी ने शुक्रवार को अपने बयान पर सफाई पेश करते हुए कहा कि चूंकि राम मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने में 5 साल का समय लगेगा। अगर अभी से निर्माण शुरू हो तो निर्माण कार्य 2025 में पूरा हो जाएगा।
हालांकि राजनीतिक हलके में इसे संघ की ओर से सरकार और भाजपा के हिंदुत्व और राष्टï्रवाद पर सीधा हमला माना जा रहा है। सवाल उठ रहे हंैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल केशुरुआती चार सालों तक चुप्पी के बाद अचानक संघ ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय ही राम मंदिर मुद्दे को क्यों तूल दिया? वह भी तब जब देश की राजनीति में पीएम नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे का डंका बज रहा था। फिर जब पीएम ने पहले साक्षात्कार और बाद में पार्टी की राष्टï्रीय परिषद की बैठक में राम मंदिर के न्यायिक समाधान और कांगे्रस के इसकी राह में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया तो विहिप ने तत्काल सार्वजनिक तौर पर कहा यह सही है कि कांग्रेस रोड़े अटका रही है, मगर सवाल यह है कि निर्माण की राह में अटकाए गए रोड़े पर झाड़ू कौन लगाएगा। इसकेअलावा इसी मुद्दे पर कुंभ में 31 जनवरी को आयोजित विहिप की धर्मसंसद में खुद संघ प्रमुख हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं। जबकि इससे पहले की ऐसी बैठकों से संघ का छोटा नेता भी किनारा करता रहा है।
००

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »