डीपीआर-संवाद ने किया 48 फर्मों-कंपनियों को बाहर
रायपुर, 18 जनवरी (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में विभाग को आवंटित 250 करोड़ के एवज में 400 करोड़ रूपए के खर्च के मामले में राज्य की कांग्रेस सरकार ने जहां मामले की जांच ईओडब्ल्यू को करने की जिम्मेदारी दी है तो वहीं विभाग ने भाजपा सरकार का चेहरा चमकाने वाले करीब 48 फर्मों व कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा है। इन फर्मों व कंपनियों को आचार संहिता लगने के ठीक एक दिन पहले ही 28 करोड़ रूपए के आरओ जारी करने की जानकारी भी सामने आई है।
सूत्रों की माने तो जिन 48 फर्मों व कंपनियों को राज्य सरकार का चेहरा चमकाने की जिम्मेदारी दी गई थी, उनमें से कुछ बड़ी राज्य के बाहर की कंपनियां थी। इन कंपनियों को लाखों रूपए का भुगतान हुआ था। चौंकाने वाली बात यह है कि जनसंपर्क विभाग का 250 करोड़ का बजट दिया गया था। लेकिन विभाग ने इससे बढ़कर करीब 400 करोड़ का काम कर दिया। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही जब इस बात का खुलासा हुआ तो राज्य सरकार की भौंहे टेड़ी हो गई। राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए जहां विभागीय टीम गठित कर दी तो वहीं मामले की सूक्ष्मता से पड़ताल का जिम्मा ईओडब्ल्यू को दे दिया है। ईओडब्ल्यू को ई-टेंडरिंग घोटाले की भी जिम्मेदारी दी गई है। बहरहाल 03 जनवरी को राज्य सरकार की नाराजगी सामने आते ही विभाग ने इन 48 फर्मों व कंपनियों का इम्पैनलमेंट निरस्त कर दिया है। इधर सूत्रों की माने तो इस मामले में दोषी अफसरों के खिलाफ जहां कार्यवाही की गाज गिरनी तय है तो वहीं राज्य सरकार ऐसे फर्मों व कंपनियों के खिलाफ भी कार्यवाही के मूड में आ गया है। यदि ऐसा हुआ तो संबंधित कंपनियों के कामकाजों की समीक्षा उपरांत कार्यवाही हो सकती है। बहरहाल विभागीय जांच समिति मामले की पड़ताल में है तो वहीं ईओडब्ल्यू भी इस मामले की सूक्ष्मता से पड़ताल करने वाली है।