भाजपा राष्टï्रीय परिषद में दिखी सपा-बसपा गठबंधन की गहरी छाया

नई दिल्ली ,12 जनवारी (आरएनएस)। शनिवार को सपा और बसपा के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को भले ही भाजपा गंभीरता से न लेने का प्रयास करती दिखाई दी, मगर पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इस गठबंधन की गहरी छाया नजर आई। पीएम नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष अमित शाह से ले कर सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इस गठबंधन पर सवाल उठाते हुए बुआ (मायावती) और बबुआ (अखिलेश यादव) पर निशाना साधा। बैठक में पेश राजनीतिक प्रस्ताव में हस्तक्षेप करने वाले असम के हेमंत विश्व सरमा का छोड़ कर योगी-मौर्या अकेले ऐसे नेता थे जिसे इसमें हस्तक्षेप करने का मौक मिला। इन दोनों नेताओं ने इसका उपयोग सपा-बसपा पर जम कर हमला करने के लिए किया।
परिषद की बैठक में योगी ने जहां इस गठबंधन को भ्रष्टï और जातिवादी लोगों का जमावड़ा बताया तो केंद्रीय मंत्री ने बसपा प्रमुख को गेस्टहाउस कांड के दौरान हुए अपमान की याद दिलाई। मौर्या ने दावा किया कि सूबे के दलितों और पिछड़ों केपीएम मोदी अब भी निर्विवाद नेता हैं। जबकि पार्टी अध्यक्ष शाह ने कहा कि ऐसे गठबंधन से किसी को हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं, क्योंकि 35 साथियों का कुनबा मजबूती से चट्टïान की तरह पीएम मोदी के साथ खड़ा है। कंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अखिलेश ने मायवती के सामने हथियार डाल लिया है। पहले यह सपा-बसपा गठबंधन थी अब यह बसपा-सपा गठबंधन है।
इस गठबंधन के खिलाफ सबसे तीखे तेवर योगी आदित्यनाथ ने दिखलाए। राज्य सरकार की उपब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि चोरों को चांदनी अच्छी नहीं लगती। उन्होंने गठबंधन को जतिवादी, भ्रष्टï और अवसरवादी लोगों का जमावड़ा बताते हुए कहा कि जिनके शब्दकोश में ही विकास और सुशासन नहीं है, जनता चुनाव मेंं उसे जवाब देगी। इसके बाद मौर्या ने कहा कि बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पिछड़े और दलित पीएम मोदी केसाथ खड़े थे। इन वर्गों के पीएम मोदी अब भी निर्विवाद नेता हैं। जबकि पीएम ने कहा कि महज भ्रष्टïाचार करने केलिए सभी बीती बातों को भुला कर कांग्रेस विरोध में जन्मी पार्टी एक हो रही हैं।
क्यों सावधान है भाजपा
दरअसल बीते विधानसभा चुनाव की बात करें तो सपा और बसपा का मिले मत भाजपा केमिले मत के बराबर हैं। सपा-बसपा के बीच लोकसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव से पहले गठबंधन के बाद भाजपा केगोरखपुर, फूलपुर और कैराना सीट गंवानी पड़ी थी। वह भी तब जब ये सीटें सीएम, डिप्टी सीएम केइस्तीफेऔर एक सीट कद्दावर नेता हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी। चूंकि राज्य की 20 सीटों पर सपा-बसपा समर्थक माने जाने वाली बिरादरियों दलित, मुसलमान और यादव की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। इसलिए भी इस गठबंधन ने भाजपा की चुनौतियां बढ़ा दी हैं।
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