लोकसभा में सवर्णों को आरक्षण वाले बिल पर चर्चा

नयी दिल्ली ,08 जनवारी (आरएनएस)। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान 124वां संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को ही इसे मंजूरी प्रदान की है। विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी। सूत्रों के अनुसार, यह कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा। सामान्य वर्ग को अभी आरक्षण हासिल नहीं है। समझा जाता है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है। आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और 5 एकड़ तक जमीन होगी। इस विधेयक पर चर्चा हो रही है, जिसे लोकसभा की मंजूरी के बाद बुधवार को राज्यसभा की होने वाली अतिरिक्त बैठक के दौरान पेश करके पारित कराने का प्रयास किया जाएगा।
ऐसे निजी संस्थानों में भी मिलेगा आरक्षण
केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव वाले संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। जब आर्थिक रूप से कंजूर को आरक्षण दिया जा रहा है तो धर्म के आधार पर आरक्षण को खतम करो नही तो सामान्य वर्ग की सीट और भी कम हो जाती है। इस बीच विधेयक की कॉपी सांसदों और मीडिया को पढऩे के लिए दी गई है। इसके मुताबिक गरीबों को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण निजी क्षेत्र के सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में भी मिलेगा। हालांकि अल्पसंख्यक संस्थानों में यह आरक्षण लागू नहीं होगा। सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को लागू करने के लिए 124वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया है। इसे पारित कराने के लिए लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल है। लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत होगी।
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