अजय चंद्राकर नहीं देंगे इस्तीफा, कहा-किसानों को लिंकिंग का पैसा वापस करना कर्ज माफी नहीं
रायपुर, 28 दिसंबर (आरएनएस)। किसानों के कर्ज माफी के बाद भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए साफ कर दिया है कि लिंकिंग का पैसा वापस करना, यह कर्ज माफी नहीं है, इसलिए इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता।
विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस ने वायदा किया था कि यदि कांग्रेस की राज्य में सरकार बनती है तो कांग्रेस दस दिनों के भीतर किसानों का कर्जा माफ कर देगी। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से जीती और सत्तासीन भाजपा की बुरी तरह से पराजय हो गई। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने किसानों के कर्ज माफी का आदेश जारी किया और वर्तमान समय तक 1248 करोड़ रूपए का कर्जा माफ हो चुका है, राज्य शासन चरणबद्ध ढंग से किसानों का कर्जा माफ कर रही है। इधर किसानों के कर्ज माफी पर कुरूद से भाजपा के विधायक और प्रदेश में कद्दावर मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने दावा किया था कि यदि कांग्रेस सरकार किसानों का कर्जा माफ कर देगी तो वे विधायकी छोड़ (इस्तीफा) देंगे। मगर अब विधायक अजय चंद्राकर ने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए कहा कि यह कर्जा माफी नहीं है, लिहाजा इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता। एक निजी चैनल को दिए अपने बयान में श्री चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस का कोई भी समझदार नेता उन्हें, कांग्रेस का कॉपर्रेटिव मिनिस्टर बताए कि राज्य शासन ने कितना पैसा बैंक को दिया, बैंक से कितना पैसा सोसायटियों में गया। सोसायटियों से एक पत्र जारी कर कहना कि लिंकिंग का पैसा किसानों के खातों में जमा कर दो, यह ऋण माफी नहीं है। छत्तीसगढ़ के किसान इस बात को समझते हैं, अभी भी सोसायटियों के खातों को देखें तो किसान ऋणी दिख रहा है। जब तक, बैंक को सरकार पैसा नहीं देगी कि यह अल्पकालीन, मध्यकालीक या दीर्घकालीक ऋण जो ऋण माफी योजना है उसके तहत इतना पैसा दिया जाता है, तब तक वो ऋण माफी नहीं मानी जाती। कागजों में है कि यह पैसा किसानों को वापस करो और इसे हम अच्छे से समझते हैं। रहा सवाल मेरे इस्तीफे का तो, तो मैंने पहले भी कहा है कि दस दिनों में ऋण माफ हो तो इस्तीफा दूंगा, आज भी कहता हूं कि बैंक पैसा वापस करे, लिंकिंग का यह ऋण माफी नहीं है और सहकारिता आंदोलन इससे समाप्त होगा। बैंक को कितने दिनों में राज्य शासन पैसा देगी कितने पैसे में देगी कितना ब्याज में देगी? पहले यह स्पष्ट हो जाए। यह तो बैंकों और सोसायटियों को दिवालिया करने की कोशिश हो रही है। ईमानदारी से जो वायदा है कर्जा माफी का, वो कर्जा माफी इतने पैसों का हो, इसमें कोई अल्पकालीन, कोई मध्यकालीक या दीर्घकालीक की बात न हो। कांग्रेस ने कर्ज माफी की बात कही है, वे परिभाषा में न पड़ें।
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