भाजपा को सदन में प्रमुख विपक्षी के लायक भी नहीं छोड़ा कांग्रेस ने

रायपुर, 12 दिसंबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ में इस बार विधानसभा चुनाव के ऐतिहासिक परिणाम ने राजनीति के सभी जानकारों की बोलती बंद कर दी है। मतदान के पूर्व और मतदान के बाद भी प्रदेश में कांटे की टक्कर का दावा करने वाले तमाम एग्जिट पोल को धता बताते हुए सामने आए जनादेश से यह स्पष्ट हो गया है कि जनता के मन को भांपना आसान नहीं है। राज्य में पिछले 15 साल से सत्ता संभाल रहे भाजपा के रणनीतिकारों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि उन्हें इतनी भयंकर पराजय का सामना करना पड़ेगा। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से केवल 15 सीटों पर सिमटने वाली भाजपा अब सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने की बात कर रही है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि निर्णायक 68 सीटों पर कांग्रेस ने एकतरफा जीत दर्ज कर भाजपा को प्रमुख विपक्षी बनने का अवसर भी नहीं दिया है।

राजनीति के जानकारों की माने तो राज्य में धुंआधार प्रचार करने, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ ही स्टार प्रचारकों की पूरी फौज खड़ी करने के साथ ही और सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा सम्मानजनक सीट हासिल नहीं कर पाई है। विधानसभा चुनाव का परिणाम इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सत्ता के मद में चूर होना कितना घातक सिद्ध होता है। दूसरी बात यह भी है कि लगातार सत्ता में रहते हुए राज्य सरकार के मंत्रियों ने जिस तरह का व्यवहार आम जनता से किया और जिस तरह से उनकी कार्यप्रणाली रही, उससे जनता बेहद खफा हुई और इसका परिणाम भाजपा को करारी और अपमानजनक हार के रूप में देखनी पड़ी। भाजपा के मंत्रियों की छोड़ें तो शहर में भाजपा के कार्यकर्ता भी इस नशे में पूरी तरह से डूबे हुए थे कि भाजपा किसी भी कीमत पर हार नहीं सकती। भाजपा कर्यकर्ताओं का यह नशा कल सामने आए चुनाव परिणाम ने पूरी तरह से उतार कर रख दिया है। इधर भाजपा के नेता अब यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि अब वे जनादेश का सम्मान करते हैं और विधानसभा में एक मजबूत विपक्षी की भूमिका निभाने तैयार हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस ने जिस तरह से एकतरफा जीत हासिल की है, उस लिहाज से भाजपा अब विधानसभा में प्रमुख विपक्षी के रूप में भी ठीक से अपने आप को प्रस्तुत नहीं कर सकेगी। राज्य की 90 विधानसभा सीटों वाले सदन में 68 सीटों पर तो कांग्रेस के विधायक विराजमान होंगे और केवल 15 सीटों पर भाजपा के विधायक रहेंगे। शेष 7 सीटें जोगी कांग्रेस और बसपा गठबंधन के विधायकों के नाम रहेगी। अब इस लिहाज से सदन में भाजपा एक प्रमुख विपक्षी के रूप में किस तरह से काम करेगी यह आने वाला समय ही तय करेगा। बहरहाल विधानसभा चुनाव से यह स्पष्ट है कि जनता को कम आंकना और विरोधियों को कमजोर समझना सदैव नुकसानदायक होता है। यही बात अब कांग्रेस पर भी लागू हो गई है, सत्ता के मद से दूर रहकर अपने घोषणा पत्र में किए गए वायदों को अमल में लाकर जनहित में काम करना और प्रदेशवासियों का विश्वास बनाए रखना कांग्रेस के लिए अब सत्ता कायम रखने का सीधा और सरल रास्ता है।

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