पुरानी खदान के कंधों पर उत्पादन का बोझ और कोयला चोरों का आतंक
कोरबा 4 दिसम्बर (आरएनएस)। ऊर्जाधानी कोरबा जिले की सबसे पुरानी एसईसीएल कोरबा क्षेत्र की सुराकछार खदान इन दिनों कोयला माफियाओं से आतंकित है। खुलेआम चोरों के द्वारा कर्मचारियों को धमका कर कोयला चोरी कर ले जाया जा रहा है और यहाँ के स्थानीय प्रबंधन द्वारा पुलिस-प्रशासन से सुरक्षा मांगे जाने पर सहयोग नहीं मिल रहा है जो चिंता का विषय है। यहाँ के महाप्रबंधक सहित अधिकारी और सुरक्षा विभाग, कर्मचारी रात्रि जागरण कर कोयला स्टाक की रखवाली करने मजबूर हैं। सुराकछार उपक्षेत्र के अंतर्गत तीन खदानें संचालित है जहां पर लगभग 2000 से ज्यादा श्रम शक्ति कार्यरत है। इनके कंधे पर प्रतिवर्ष 4 लाख टन कोयला उत्पादन का भार है जिसे पूरी निष्ठा के साथ पूरा कर रहे हैं। कोरबा क्षेत्र की ढेलवाडीह उपक्षेत्र का भी कोयला यहीं पर स्टाक किया जाता है। प्रतिदिन रेलवे साइडिंग में जी-7 गुणवत्ता वाली 3 हजार टन कोयला एकत्र होता है तथा लगभग हर माह 23-24 रेक कोयला विभिन्न संस्थानों को भेजा जाता है। इसी स्थान से प्रतिदिन लगभग 20-25 टन कोयला चोरों के द्वारा चोरी कर लिया जाता है और बेख़ौफ़ होकर ट्रेलर में लादकर कर बिलासपुर-रायपुर या अन्य जगहों में पहुंचाया जाता है जबकि रास्ते में अनेक पुलिस थाना और खनिज नाका भी पड़ता है