पूर्व कोयला सचिव गुप्ता और दो नौकरशाह सहित छह दोषी करार
नयी दिल्ली,30 नवंबर (आरएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को संप्रग सरकार के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल की कोयला खदान आवंटन से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया। इस मामले में दोषी करार दिये गये अन्य आरोपियों में एक सेवानिवृत्त लोकसेवक के एस क्रोफा और सेवारत नौकरशाह के सी सामरिया भी शामिल हैं। इन्हें भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों को दोषी ठहराया गया है। गुप्ता, 31 दिसम्बर, 2005 से नवम्बर 2008 तक कोयला सचिव रहे थे। उन्हें दो अन्य ऐसे ही मामलों में भी दोषी ठहराया जा चुका है। इसमें उन्हें दो और तीन सालों की सजा सुनाई भी जा चुकी है। वह इस समय जमानत पर बाहर चल रहे है। क्रोफा, उस समय कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर थे और वह मेघालय के मुख्य सचिव के पद से दिसम्बर 2017 में सेवानिवृत्त हो गये थे। उन्हें एक अन्य मामले में पहले ही दोषी करार देकर दो साल की सजा सुनाई जा चुकी है। क्रोफा भी इस समय जमानत पर बाहर चल रहे हैं। विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर द्वारा फैसला सुनाये जाने के बाद सभी दोषियों को हिरासत में ले लिया गया। दोषियों की सजा की अवधि पर अदालत में तीन दिसंबर को बहस होगी। इस मामले में दोषियों को अधिकतम सात साल कैद की सजा हो सकती है। यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला खदानों को विकास मेटल्स एडं पावर लिमिटेड (वीएमपीएल) को देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। सीबीआई ने सितंबर 2012 में इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। वीएमपीएल के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और उनके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक भी इसमें दोषी ठहराये गए हैं। सभी लोगों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अपराधी माना गया। इनमें धारा 420 (धोखाधड़ी) और 102-बी (आराधिक षडयंत्र) शामिल है। अभियोजकों ने कहा कि गुप्ता कोयला खदान आवंटन मामले में कथित अनियमिताएं बरतने के 12 मामलों में आरोपी हैं। सीबीआई ने संप्रग के पहले और दूसरे कार्यकाल में हुई कथित अनियमितताओं के 40 मामलों में आरोप पत्र दायर किए हैं। उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला के सभी मामलों को विशेष रूप से देखने के लिए 25 जुलाई, 2014 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भरत पाराशर की नियुक्ति को हरी झंडी दी थी। अबतक विशेष अदालत छह मामलों को तय कर चुकी है। आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी मैसर्स हिंडाल्को को साल 2005 में ओडिशा की तलाबीरा द्वितीय व तृतीय कोल ब्लॉकों के आवंटन के एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी आरोपी हैं। विशेष अदालत ने 11 मार्च, 2015 को सिंह और पांच अन्य आरोपियों को समन जारी किये थे। सिंह के अलावा पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख, आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला और अन्य लोगों को समन जारी किये थे। सिंह ने राहत पाने के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ली जहां एक अप्रैल, 2015 को निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी गई। उनका मामला अभी सर्वोच्च अदालत में लंबित है। इस मौजूदा मामले में अदालत ने 19 अगस्त, 2016 को आरोप तय कर दिये थे। इसमें गुप्ता, दो नौकरशाहों और कंपनी व इसके दो अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र रचने के आरोप शामिल थे। इन सभी लोगों ने खुद का बचाव करते हुये दोषी नहीं माना और मुकदमे का सामना करने की बात कही। सभी आरोपी इस समय जमानत पर थे। इसमें कहा गया था, भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 409 (लोक सेवकों द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाए गये हैं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13 (1) (सी) और 13 (1) (डी) (लोकसेवकों द्वारा आपराधिक दुर्व्यवहार) के तहत सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये गये थे। इस मामले में सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया। हालांकि सीबीआई ने पहले इस मामले को बंद करने की रिपोर्ट दी थी जिसे अदालत ने खारिज करते हुये, जांच एजेंसी को मामले की और जांच करने के लिए कहा था। गुप्ता को पहले भी दो अन्य कोयला घोटाले, कमल स्पंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) और विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) से संबंधित मामलों में दोषी पाया गया था। केएसएसपीएल मामले में क्रोफा और सामरिया को भी दोषी ठहराया गया था।
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