शीत्र सत्र से पहले एकजुट विपक्ष किसान मुद्दे को बनाएगा एजेंडा

नई दिल्ली ,30 नवंबर (आरएनएस)। संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और भाजपा के राम मंदिर मुद्दे का जवाब विपक्ष किसान से देगा। शुक्रवार को सरकार और भाजपा के प्रतिनिधिनिधियों की अनुपस्थिति के बीच किसानों की रैली में विपक्षी दलोंं के जमघट ने सियासी बानगी पेश कर दी है। रैली से जहां सरकार और भाजपा ने दूरी बनाई, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, शरद यादव, फ ारुख अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी समेत कई विपक्षी दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ सीधे पीएम मोदी पर निशाना साध कर अपनी भविष्य की रणनीति का इजहार कर दिया है।
विपक्ष खासातौर पर राम मंदिर की काट के लिए किसानों के मु्दे पर पर संसद में मोदी सरकार को घेरने की योजना बना रही है। पार्टी की इस मुद्द्े पर राकांपा, नेशनल कांफ्रेंस, इस रैली का पत्र के माध्यम से समर्थन करने वाले पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से बात हुई है। उ मीद है कि सत्र शुरू होने से पहले विपक्षी दलों की बैठक में किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने का सर्वस्वीकार्य रोडमैप तैयार हो जाए। वैसे भी सरकार और भाजपा के राम मंदिर कार्ड से कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल असहज हैं। खासतौर पर इस कार्ड से नरम हिंदुत्व का चोला पहने कांग्रेस ज्यादा ही असहज है।
वैसे भी किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के पास सरकार को घेरने का बड़ा मौका है। वह इसलिए कि किसान वही मांग कर रहे है जिसकी घोषणा भाजपा ने बीते चुनाव लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने चुनाव घोषण पत्र में की थी। तब भाजपा ने स्वामीनाथ कमीशन की सिफारिशें लागू करने और फसल की लागत की तुलना में डेढ़ गुणा कीमत देने का वादा किया था। जहां तक कर्ज माफ करने का सवाल है तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान लगातार इस आशय का आश्वासन दे रहे हैं।
सरकार की परेशानी
किसान के मुद्दे पर नाराजगी की बानगी सरकार को गुजरात विधानसभा चुनाव केदौरान ही दिख गई थी। हालांकि रणनीतिगत उपाय ढूंढने में हुई लापरवाही के कारण किसान का मुद्दा मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में छाया रहा तो राजस्थान सहित शेष दो राज्यों में भी यह अहम मुद है। अब लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा अपने चरम पर जाता दिख रहा है। सरकार की मुश्किल यह है कि इस बार के किसान आंदोलन को डाक्टरों, वकीलों, पूर्व सैनिकों, पेशेवरों, मध्यवर्ग के युवाओं का खासा समर्थन हासिल हो रहा है।
इनकी चिंता में करोड़ों की सं या में जीवन-मौत से जूझ रहे किसान नहीं बल्कि अंबानी-अंडानी जैसे 15 अहम उद्योगपति हैं। जब इनका कर्ज माफ हो सकता है तो अन्नदाता का क्यों नहीं। मांग नहीं माने तो सीएम ही नहीं पीएम भी बदलिये।
राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
यह उद्योगपतियों की सरकार है। किसानों की मांग पर सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया शर्मनाक है। इस लड़ाई को सड़क से ले कर संसद तक लडऩे की जरूरत है।
सीताराम येचुरी, महासचिव, माकपा
झूठ और फरेब केसहारे केंद्र की सत्ता में आई सरकार किसानोंं के मामले में अमानवीय हो गई है। देश का किसान किस्मत बनाने और बिगाडऩे दोनों की ताकत रखता है। अगले लोकसभा चुनाव का इंतजार कीजिये, मोदी सरकार को यही किसान जमीन पर उतारेंगे।
शरद यादव
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