देश के उच्च न्यायालयों में 44 फीसदी मुकदमे लंबित

नई दिल्ली ,11 नवंबर (आरएनएस)। लंबित मुकदमों को निपटाने के मामले में देश के उच्च न्यायालय निचली अदालतों से भी पीछे हैं। मसलन देश में आधे या एक दशक से भी ज्यादा समय से 44 फीसदी मामलें लंबित हैं।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों पर गौर करें तो पुराने मामलों को लटकाने की दौड़ में उच्च न्यायालय निचली अदालतों से काफी आगे हैं। जबकि मुकदमों की संख्या में निचली अदालतों पर भारी बोझ हैं। उच्च न्यायालयों में दीवानी के 23.32 लाख से अधिक, आपराधिक 12.92 लाख से ज्यादा और लंबित रिट याचिकाओं की सूची 11.39 लाख से ज्यादा लंबी है। इसमें 2 साल से कम समय के महज 29.79 फीसदी और 2 साल से अधिक पर पांच साल से कम पुराने 26.29 फीसदी मुकदमे लंबित हैं।
दस साल से पुराने मामलों का आंकड़ा 21.61 फीसदी है और पांच साल से ज्यादा पुराने 22.31 फीसदी हैं। ऐसे में आधे दशक से ज्यादा समय से लंबित मुकदमे 44 फीसदी के करीब हैं। न्याय मिलने में देरी में, न्याय नहीं मिलने के बराबर है और यह भारी आंकड़ा इस सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार की गई टिप्पणी को चरितार्थ करता है। केंद्र सरकार दस साल से भी ज्यादा समय से अदालतों के साथ मिलकर मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने की दिशा में काम कर रही है। इसके बावजूद मुकदमों का पहाड़ और न्यायाधीशों के खाली पदों को भरने में तेजी नहीं आ रही है। विधि विशेषज्ञ मानते हैं कि मुकदमों के निपटारे और पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने पर ही काम बनेगा। हालांकि निचली अदालतों का प्रदर्शन पुराने मुकदमों के निपटारे में बेहतर हैं, जहां कुल मामलों में 46.89 फीसदी दो साल से कम समय के हैं और दो साल से अधिक पर पांच साल से कम समय के 28.69 फीसदी मुकदमे लंबित हैं। पांच साल अधिक पुराने 16.12 फीसदी मामले हैं जबकि दस साल से ज्यादा समय से 8.30 फीसदी मामले हैं। गौरतलब है कि गत अक्टूबर मध्य तक निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के स्वीकृत 22,036 पदों में 5,133 पद खाली थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी भी जताई थी जिसके बाद से राज्यों में न्यायिक अधिकारियों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है।
वहीं देशभर में सुप्रीम कोर्ट को छोड़ दिया जाए तो 10 नवंबर तक 3.32 करोड़ मामले निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। इसमें 2.85 करोड़ भी ज्यादा मुकदमे निचली अदालतों में हैं जबकि उच्च न्यायालयों में 47.64 लाख से अधिक निपटारे की बांट जोह रहे हैं। सर्वाधिक मामले उत्तर प्रदेश में लंबित हैं जिनमें निचली अदालतों में 68,51,292 हैं और इलाहाबाद हाईकोर्ट में 7,20,440 मुकदमे लटके हैं। हालांकि हाईकोर्ट में लंबित मामलों की फेरहिस्त में राजस्थान हाईकोर्ट ने इलाहाबाद को भी पछाड़ रखा हैं जहां 7,28,030 मुकदमे हैं। गत अक्टूबर तक देश के 24 उच्च न्यायालयों में 1221 स्वीकृत पदों में 330 पद खाली हैं। कुल 891 न्यायाधीश अपनी सेवाएं उच्च न्यायालयों में दे रहे हैं।
००

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »