कांग्रेस-भाजपा के नए प्रत्याशियों के बीच कांटे की चुनावी टक्कर
रायपुर, 10 नवम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में बस्तर संभाग का प्रवेश कांकेर विधानसभा से होता है। कांकेर आदिवासी अंचल का एक हिस्सा होते हुए भी वहां का वातावरण सामान्य जिले जैसा है। व्यवस्था और समस्याओं के निराकरण के लिए ग्रामीणजन भी सक्रिय रहते हैं। कलार औैर तेली जाति के लोग बड़ी संख्या में निवासरत हैं। उनकी उपस्थिति का राजनीतिक प्रभाव दिखाई देता है। इस बार के विधानसभा चुनाव की खासियत यह है कि कांग्रेस और भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी पर भरोसा नहीं दिखाया है। कांग्रेस आलाकमान ने विधायक शंकर धुर्वा की टिकट काटकर रिटायर्ड आईएएस अफसर शिशुपाल शोरी और भाजपा ने पराजित प्रत्याशी संजय कोडोपी के स्थान पर हीरा मरकाम को टिकट दिया है। पूर्व में कांग्रेस प्रत्याशी शंकर धुर्वा ने 4625 मतों के अंतर से चुनाव जीता था किंतु क्षेत्र में उनकी निष्क्रियता के कारण उसे विजयी प्रत्याशी न मानते हुए पार्टी ने शिशुपाल शोरी को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने भी प्रत्याशी बदल दिया। शोरी और मरकाम पहली बार एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी के रुप में चुनावी समर में कूदे हैं। भाजपा सरकार की ओर से क्षेत्र में सड़क, पुल-पुलिया, बिजली संधारण, पॉलिटेक्निक कालेज, कृषि अनुसंधान केन्द्र शुरु करने के साथ-साथ प्रंचल के प्रसिद्ध गढिय़ा पहाड़ पर रास्ता निर्माण किया जाना उल्लेखनीय कार्य है। भाजपा सरकार के कामकाज को लेकर जनता का विश्वास अस्पष्ट प्रतीत होता है। कांकेर विधानसभा क्षेत्र की जनता अपने इलाके में इंजीनियरिंग कॉलेज, शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा किसानों को पूरे चार साल की फसल बीमा योजना का लाभ दिए जाने की अपेक्षा कर रही है। सरकार की राशन प्रणाली को लेकर गरीब जनता संतुष्ट नहीं है। उनका मानना है कि दूकानदारों की दादागिरी से राशन जरुरतमंदों तक नहीं पहुंचा पा रही है। गौरतबल है कि पिछले समय चुनाव के पूर्व सभी को राशन कार्ड दिया था चुनाव के बाद सख्त नियम बनाकर वापस ले लिया। पूर्व भाजपा प्रत्याशी संजय कोडोपी मिलनसार एवं जुझरु होने के बाद भी उनकी राजनीतिक योग्यता में कमी रही है। इसी लिए पराजय का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस विधायक शंकर धुर्वा की छवि निष्क्रिय एवं रुखे व्यवहार वाले जनप्रतिनिधि की है। यही कारण है कि उनकी टिकट काट दी गई।