मुख्यमंत्री ने किसानों से की अपील : आगामी खरीफ सीजन में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का अधिक से अधिक करें उपयोग

जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का अधिक से अधिक करें उपयोग

भूमि की उर्वरता बढ़ेगी, खेती की लागत होगी कम

मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के हितग्र्रहियों को 21.31 करोड़ रूपए की राशि का किया ऑनलाईन अंतरण

गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को अब तक किया जा चुका है 538 करोड़ 89 लाख रूपए का भुगतान

गौठान समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों को मानदेय के रूप में आज जारी की गई 1.13 करोड़ रुपए की राशि  

आने वाले मानसून में अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर अपने गांव और गौठानों को बनाएं हरा-भरा

मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के हितग्र्रहियों को 21.31 करोड़ रूपए की राशि का किया ऑनलाईन अंतरण

मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के हितग्र्रहियों को 21.31 करोड़ रूपए की राशि का किया ऑनलाईन अंतरण

रायपुर, 5 जून (आरएनएस)।  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने किसानों से आगामी खरीफ सीजन में खेती-किसानी में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की अपील करते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत गौठनों में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक महिला समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। गौठनों में ये उत्पाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। इनके उपयोग से जमीन की उर्वरता बढ़ेगी और खेती की लागत भी कम होगी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि के ऑनलाइन अंतरण के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस की प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आने वाले मानसून में ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें और अपने गांव, गौठान, खेतों और जंगलों को खूब हरा-भरा बनाएं। मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह, नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के नोडल अधिकारी  डॉ अयाज तंबोली, संचालक कृषि श्रीमती रानू साहू भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में गोधन योजना के हितग्राहियों के खाते में ऑनलाईन 21.31 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की। इस राशि में 16 मई से 31 मई तक गौठानों में क्रय किए गए गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों 4.91 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 8.98 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 6.29 करोड़ रूपए की लाभांश राशि तथा गौठान समितियों ने अध्यक्षों और सदस्यों के मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।

गौरतलब है कि गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को आज वितरित की गई राशि को मिलाकर अब तक हितग्राहियों को 538 करोड़ 89 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इसमें से योजना के प्रारंभ होने के बाद से अब तक गोबर विक्रेताओं को 237.28 करोड़ रूपए तथा स्व- सहायता समूहों एवं गौठान समितियों को 223.60 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों और सदस्यों को मिलाकर समिति के कुल 21 हजार 360 सदस्यों की मानदेय की 1.13 करोड़ रुपए की राशि जारी की। स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष को 750 रुपए और अशासकीय सदस्यों को 500 रुपए का मानदेय दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश में 10 हजार 409 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, इनमें से 98 प्रतिशत, 10 हजार 235 गौठानों का निर्माण पूरा हो गया है। 4 हजार 584 गौठान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 15 दिनों में 30 क्विंटल या उससे अधिक गोबर की खरीदी की है। इससे पूर्व के पखवाड़े की तुलना में इतनी अधिक मात्रा में गोबर खरीदने वाले गौठानों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार पिछले वर्ष 16 से 31 मई 2022 की तुलना में इस वर्ष इसी अवधि में गोबर खरीदी में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश के 05 हजार 911 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। इन गौठानों द्वारा अब तक गोबर खरीदी के एवज में कुल 53 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। आज गोबर खरीदी के एवज में जारी की गई 04 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि में से 03 करोड़ 05 लाख रुपए का भुगतान स्वावलंबी गौठानों द्वारा तथा विभाग द्वारा 01 करोड़ 86 लाख रुपए का भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में चल रही विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों से 15 हजार 905 स्व सहायता समूहों की 01 लाख 89 हजार 614 सदस्यों को अब तक 144 करोड़ 22 लाख रुपए की आय हुई है। श्री बघेल ने इस योजना की सफलता के लिए योजना से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारी गोधन न्याय योजना का एक उद्देश्य पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन करना भी है। राज्य सरकार द्वारा सुराजी गांव योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, वृक्ष संपदा योजना, कृष्ण कुंज योजना, नदी तट वृक्षारोपण, फलदार पौधा रोपण जैसी योजनाओं के माध्यम से अपने पर्यावरण को लगातर बेहतर बनाने का काम किया जा रहा है।

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