खेती-किसानी संबंधी जानकारी का महत्वपूर्ण स्त्रोत है कृषि पंचांग
रायपुर 01 जनवरी (आरएनएस)। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज शाम यहां अपने निवास कार्यालय में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा प्रकाशित ‘कृषि पंचांग 2023’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इसके प्रकाशन पर विश्वविद्यालय को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और इसे किसानों की खेती-किसानी संबंधी जानकारी के लिए महत्वपूर्ण बताया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कृषि पंचांग 2023 का विमोचन करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित कृषक हितैषी नीतियों के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ कृषि विकास की ओर निरंतर अग्रसर है। मुझे प्रसन्नता है कि इस प्रकाशन में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन तकनीक तथा छत्तीसगढ़ शासन के कृषि एवं संबंधित विभागों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारियों को सम्मिलित किया गया है। इससे कृषकों को खेती-किसानी के संबंध में बेहतर से बेहतर जानकारी उपलब्ध होगी। इस तारतम्य में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि संबंधी विभिन्न कार्ययोजनाओं के माध्यम से नवीनतम जानकारी तथा अनुसंधान कार्यों को सीधे किसानों तक जोड़ने के प्रयास में कृषि पंचांग का प्रकाशन एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने इस दौरान बताया कि हमारी सरकार ने राज्य में विगत 4 वर्षों में किसानों के हित में अनेक निर्णय लिए हैं, जिसके फलस्वरूप उनकी सामाजिक स्थिति तथा आर्थिक स्वावलंबन में बढ़ोत्तरी हुई है।
कृषि पंचांग 2023 में खेती-किसानी में नवीनतम तकनीक सहित वैज्ञानिक तकनीकी के समावेश से महिला सशक्तिकरण, धान की उन्नत कतार बोनी तकनीक तथा वैज्ञानिक तकनीक द्वारा ग्राफ्टेड पौधों से सब्जी उत्पादन आदि के बारे में बेहतर ढंग से जानकारी दी गई है। इसी तरह ड्रोन के प्रयोग से लाभदायक कृषि, चना उत्पादन की लाभकारी साई(एससीआई) तकनीक, ताप सहनशील गेहूं की नवीन किस्म: सी.जी. 1029 (कनिष्का), महुआ संग्रहण की उन्नत तकनीक और केले के रेशे से आर्थिक समृद्धि आदि को आकर्षक ढंग से प्रदर्शित की गई है।
इस अवसर पर खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, अध्यक्ष अपेक्स बैंक श्री बैजनाथ चन्द्राकर, अध्यक्ष राज्य खनिज विकास निगम श्री गिरीश देवांगन सहित कुलपति इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय डॉ. गिरीश चंदेल, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा, डॉ. ज्योति भट्ट, डॉ. एस.एस. टुटेजा, डॉ. अरूण त्रिपाठी तथा डॉ. एल. एस. वर्मा आदि उपस्थित थे।