मानव जीवन अमूल्य है : श्रीश्वरी देवी
उतई में सुश्री श्रीश्वरी देवी के प्रवचन का पहला दिन
दुर्ग, 16 नवंबर (आरएनएस)। कृपालु दरबार सेवा समिति उतई द्वारा 15 दिवसीय दार्शनिक प्रवचन एवं मधुर संकीर्तन का आयोजन दशहरा मैदान उतई में मंगलवार से सुरु हुआ। प्रवचनकर्ता सुश्री श्रीश्वरी देवी (वृन्दावन वासिनी) ने प्रवचन देते हुए कहा कि मनुष्य अपनी ज्ञान सक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।हम लोग मरते हुये लोगों को देख कर भी भक्ति नही करते। आज व अभी भक्ति हम सुरु करे।हमको भगवान से प्रेम करना है।विस्व का प्रत्येक जीव भगवांन से ही प्रेम करता है।
ज्ञान सक्ति का सदुयोग करना चाहिए।निनानेबे प्रतिशत लोग नरक की ओर जा रहे है।वेद कहता है कि जो मनुष्य स्वर्ग जाना चाहते है वे प्रकांड मूर्ख है।कुछ लोग मोक्ष के लिये प्रयास करते है। स्वर्ग नरक मोक्ष को त्याग देगे तो भक्ति मिलेगा।सुश्रीश्रीश्वरी देवी ने प्रवचन को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मानव देह आपको ईस्वर की भक्ति के लिये मिला है। आप मानव जीवन का मूल्य समझ ले तो एक पल का समय ब्यर्थ में नही गवाएंगे। यदि हम मन लगाकर भक्ति कर ले तो भगवान भी सरनागति हो जाते है।इन्द्र भी मानव देह पाने पाने भगवांन के सामने गिड़गिड़ाते है।नारद पुराण कहता है कि इस दुर्लभ मानव देह को पाने के लिये देवता भी याचना करते है। देवता भी मनुष्य की सराहना करते है।वे कहते है कि भारत भूमि पर जन्म मिला है।वे लोग धन्य है। हम लोग अपने आहार को बिगाड़ कर खाते है।उन्हें शाकाहार से नही भरता तो मानसाहार करते है।पशू पक्षी व मनुष्य में
चार चीजो में समानता है।जिसमें आहार निद्रा भय विषय भोग करते है।हम मन बुद्धि को हम बिगाड़ते है।पशू पक्षियो को स्वभाविक ज्ञान मिला हुआ है।सुदरता भी पशू पक्षियो मे बाटा गया है।हर मामले मे पशू पक्षी अच्छे है तो मानव देह की सराहना क्यो की गई है। मानव देह को विषेस ज्ञान सक्ति दी है।जिसका सदुपयोग करना चाहिए।लेकिन उसका उपयोग हम नही कर रहे है। देवता लोग स्वर्ग में क्या करते है। स्वर्ग में केवल भोगना भोगना रहता है।जीवन मे पुण्य कमाते है वही पुण्य है। स्वर्ग में पुण्य का भोग करते है।स्वर्ग में पुण्य समाप्त हुआ तो मृत्यु लोक् में नीचे पटक दिया जाएगा। हीनता योनियों में स्वर्ग में आने के बाद डाला जाता है।।देवताओं को पुरुषारर्थ नही मिलता है।स्वर्ग के राजा इंद्र एक बार विश्वकर्मा जी को आदेश दिए एक त्रिलोक में कही न हो ऐसा महल बनाये। एक सामान्य महराज ने पूछा कि यह चींटियां है।लोमस मुनि ने कहा कि मैं घर नही बनवाया।मेरे कमंडल में जो डाल देते है तो खा लेता हूं। कही भी सो जाता हूं।लोमस ऋषि ने इंद्र से कहा मेरे शरीर से एक एक रोम गिरता रहता है। इंद्र जंगल मे जाकर भक्ति करने लगे।बृहस्तिपति ने इन्द्र से कहा कि अब यहां आपको कोई फल नही मिलेगा। जब आपको मानव देह मिलेगा तो भक्ति करना।मनुष्य पुरुषार्थ का शरीर है।ज्ञान व पुरुषार्थ विसेस है। इसी देह से भगवान मिलेंगे।हम जानते ही नही है कि भगवान कब मिलेंगे।हम जीवन का मूल्य नही समझ पा रहे है।यह जीवन बित गया तो क्या होगा। अगर यह मानव जीवन बित गया तो माँ के पेट मे उल्टे टगेगे।क्या अवस्था थी। जब हम मां के गर्भ में थे।क्या लेकर आये थे क्या लेकर जायेगे।हम अपने वास्तविक कर्तब्य को भूल गए है।हम भक्ती नही की हम उधार ( बहाना) करते रहे। सुश्री देवी ने आगे कहा कि करोड़ो कल्पो के बाद मानव देह मिलता है।जहाँ एक ओर मानव देह से भगवान मिल जायेंगे।लेकिन यह मानव देह क्षण भगूर है।आप बहाना क्यो करते है।जीवन मे भक्ती करे। यह आयु जीवन पानी मे उठने वाले बुलबुले के समान है।ऐसा ही हमारा जीवन है।युवा बच्चा बूढ़ा भी मर रहा है।लेकिन कोई भक्ती नही करता।आप युवा अवस्था से ही भक्ति सुरु कर दिजीये।प्रवचन रोजाना समय शाम 5 से 7 बजे तक हो रहा है।