ऑपरेशन राहुल रेस्क्यू : दुर्घटना से देर भली…

जांजगीर-चांपा, 14 जून (आरएनएस)। कई बार जल्दबाजी या हड़बड़ी किसी बड़े हादसे की वजह बन जाती है। एनडीआरएफ की टीम जिला प्रशासन के जॉइंट कॉम्बिनेशन में देश का सबसे बड़ा रेस्कयू राहुल को बचाने के लिए कर रही है। एनडीआरएफ के सदस्य पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं, फिर भी कई बार चूक से दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। एनडीआरएफ द्वारा राहुल का रेस्क्यू कमांड ऑफ चीफ वर्धमान मिश्रा के निर्देशन में किया जा रहा है। आज रेस्कयू के दौरान हाथों में हल्का सा चोट लगा और मौके पर उपस्थित डॉक्टर के उपचार के बाद ठीक हो गया। ठीक इसी तरह राहुल के रेस्क्यू को हल्के में लेने वाले लोग यह सोच रहे होंगे कि इतना देर क्यो किया जा रहा है? 90 घण्टे हो गए। राहुल का क्या होगा? ठीक से काम नहीं किया जा रहा है….

कुछ ऐसे सवालों से लैस होकर लोगों के बीच भ्रम पैदा करने और एक नकारात्मक माहौल बना देने ऐसे लोग भला आखिर चाहते क्या है?
जब मामला संवेदनशीलता के साथ विपरीत परिस्थितियों से जुड़ा हो और बहुत कुछ हाथ में होकर भी अपने हाथ में न हो तो ऐसे मामलों में किसी भी जल्दबाजी, हड़बड़ी दिखाने की बजाय सूझबूझ दिखाना ही साहस और एक संवेदनशील इंसान की पहचान है। एनडीआरएफ देश में बड़े बड़े तूफानों से,बाढ़ से डूब रहे लोगों को और अचानक होने वाले हादसों से लोगों को बचाने का काम करती है। ऐसे कई अवसर आए है जब एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने साहस का परिचय दिया। यह अकेले ही उनके सफलता का सर्टिफिकेट नहीं बना, स्थानीय स्तर पर प्रशासन के साथ बेहतर तालमेल और समन्वय भी हिस्सा रहा होगा। जब किसी के जीवन का प्रश्न होता है तो सवाल और गुस्सा लाजिमी भी है,मगर एक दायरे में..पिहरीद की घटना देश की सबसे बड़े रेस्क्यू में से एक है। जिस तरह की परिस्थितियां इस घटना से जुड़ी है, वह इस अभियान को जल्दी ही सफल बनाने में थोड़ा बाधा बन रही है। राहुल का न सुन पाना, रस्सी को न पकडऩा, और 60 फीट के गहरे स्थान पर राहुल तक पहुचने में मजबूत चट्टान रेस्क्यू की आसान राह को रोड़ा बन रही थी, इसके बावजूद जिला प्रशासन और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम एक ही विश्वास के साथ सारी चुनातियों को नजरअंदाज कर अभियान को सफल बनाकर कर राहुल को मौत के मुँह से वापिस लाने का काम कर रही है। हमें भी अपना धैर्य बनाकर राहुल के सुरक्षित निकालने के लिए दुआएं करनी चाहिये। यदि यह भी नहीं कर सकते तो कम से कम कुछ भ्रम जैसी बातों का दुष्प्रचार तो नहीं करना चाहिए, क्योंकि दुर्घटना से देर भली है…

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