रायपुर. 17 दिसम्बर (आरएनएस)। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम), उद्यानिकी विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के अभिसरण से धान के बदले पपीता की खेती शुरू करने वाली श्रीमती कुंजबाई साहू की किस्मत पपीता की एक फसल ने बदल दी है। उसके दो एकड़ खेतों में 500 क्विंटल पपीता का उत्पादन हुआ है। पपीता की गुणवत्ता ऐसी कि बिलासपुर के फल व्यवसाईयों ने खेत में खड़ी फसल ही खरीद ली। इससे कुंजबाई को चार लाख रूपए मिले। पपीता की पहली फसल के मुनाफे से उत्साहित कुंजबाई ने इस बार अपने पैसों से इसके 2600 पौधे लगाए हैं।
बेमेतरा जिले के बाराडेरा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव मुंगेली की श्रीमती कुंजबाई साहू चार एकड़ की सीमांत किसान है। मनरेगा तथा उद्यानिकी विभाग के अभिसरण से मिले संसाधनों और बेमेतरा कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में उन्होंने पिछले साल अपने दो एकड़ खेत में पपीते के दो हजार पौधे लगाए थे। इनसे 500 क्विंटल पपीता की पैदावार हुई, जिसे थोक फल विक्रेताओं ने आठ रूपए प्रति किलोग्राम की दर से उसके खेतों से ही खरीद लिया। पपीता के पेड़ों में फल आने के बाद उद्यानिकी विभाग की मदद से बिलासपुर के थोक फल विक्रेताओं ने उससे संपर्क किया। अच्छी फसल देखकर व्यापारियों ने तुरंत ही पूरे दो एकड़ के फल खरीद लिए। कुंजबाई को पपीता की बिक्री के लिए कहीं बाहर जाना नहीं पड़ा और घर पर ही फसल के अच्छे दाम मिल गए। इससे उत्साहित होकर उसने इस साल पपीता के 2600 पौधे लगाए हैं। कुंजबाई ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर पिछले वर्ष पपीता के पौधों के बीच में अंतरवर्ती फसल के रूप में भुट्टा, कोचई और अन्य सब्जियों की भी खेती की। इससे उसे अतिरिक्त कमाई हुई।