गुरूनानक देव के 552वें प्रकाश पर्व पर गुरूद्वारे सजे
रायपुर, 18 नवम्बर (आरएनएस)। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर गुरूनानक देव का 552वां प्रकाश पर्व छत्तीसगढ़ की राजधानी सहित प्रदेशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्ञातव्य है कि चौदहवीं सदी में जन्मे गुरूनानक देव सिक्खों के प्रथम गुरू हैं, जन्म काल में जहां देश में जाति-पांति का भेद गरीब-अमीर का भेद जोरों पर था, उस काल में उन्होंने अपनी विनम्रवाणी से गुरूग्रंथ साहिब के माध्यम से चौपाई के जरिये समाज को एक करने का संदेश दिया। 10 गुरूओं ने सिक्ख धर्म का इतिहास मानवता की सेवा के लिए रचा। गुरूनानक देव जयंती के शुभ अवसर पर 19 नवम्बर को शहर के गुरूद्वारे उत्सव के लिए सजधजकर तैयार हैं, गुरूद्वारों में ग्रंथी जी द्वारा विशेष अरदास का आयोजन किया गया है। इसके साथ ही प्रदेश एवं शहर के सभी गुरूद्वारों में गुरू का प्रसाद वितरण करने के लिए विशेष लंगर का आयोजन होगा। लंगरप्रथा शुरू करने के पीछे गुरूनानक देव का स्पष्ट संदेश था कि सारे मानव एक है, सब के दुख और सुख में शामिल होना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है, अपने जन्म काल में गुरूनानक देव ने अनेक संदेशों के माध्यम से भारत की एकता और अखण्डता को कायम रखने के लिए अपनी पवित्र वाणी से अनेक संदेश दिए जो आज भी प्रासंगिक हैं।