सौर सिंचाई से किसानों की बदली तकदीर
महासमुंद, 24 अक्टूबर (आरएनएस)। जिले में मानसून पर निर्भर रहने वाले कृषकों की संख्या बहुत है, जिनके पास कृषि के लिए भूमि तो उपलब्ध है, किन्तु सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे कृषक अपने कृषि भूमि के निकट जल स्त्रोतों जैसे नदी, नाला उपलब्ध होने पर डीजल, केरोसिन पंप स्थापित कर सिंचाई के लिए जलापूर्ति करते हैं, या तो जलस्त्रोत उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उन्हें पूरे साल बारिश का इंतजार करना पड़ता है। जिसके कारण किसानों के कृषि कार्य काफी प्रभावित होती है और बारिश नहीं होने पर किसानों के फसल बर्बाद हो जाता है। जिससे कृषक आर्थिक रूप से और कमजोर होते जाते हैं। इससे उनके परिवारों के लिए भरण-पोषण की विकराल समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पावर फाइनेन्स कॉर्पोरेशन (भारत सरकार का उपक्रम) नई दिल्ली की पहल एवं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा (क्रेडा) के वित्तीय सहयोग से राज्य के ऐसे स्थलों जहां स्टाप डैम, बैराजों एवं ऐसे जल स्त्रोतों जहां पर्याप्त मात्रा में सरफेस वाटर उपलब्ध है, वहां सौर सामुदायिक सिंचाई योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पंप के साथ-साथ सिविल अधोसंरचना एवं पाइप लाइन विस्तार कर सिंचाई कार्य किया जा रहा हैं। इस साल शुरू में कम बारिश से फसल को जो नुकसान होने वाला था। लेकिन इस योजना के कारण नहीं हो पाया। खेतों को समय पर पानी मिला। इससे यहां के किसानों में काफी खुशी है। सौर सिंचाई योजना से अब किसानों की तकदीर बदलने लगी हैं।
जिला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 20 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में ग्राम अछोला स्थित है। जहां समोदा बैराज में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है। परन्तु, स्थल विद्युत बाधित होने