शारदीय नवरात्र प्रारंभ, प्रथम दिवस माता शैलपुत्री की हुई पूजा

रायपुर, 07अक्टूबर (आरएनएस)। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी देश एवं प्रदेश में आदिशक्ति का पर्व शारदीय तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पडऩे के कारण आज से शुरू हो रही नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगी। 15 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्योहार मनाया जाएगा। आज प्रथम दिवस माता के दरबार में माता रानी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा श्रद्धालुओं द्वारा विधि विधान से की गई। ज्ञातव्य है कि कोरोना की छाया के बीच गत दो वर्षों से भक्त माता के दरबार डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी एवं रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के पट बंद होने के कारण दर्शन से वंचित थे। इस वर्ष कोरोना की रफ्तार धीमी होने के कारण राज्य शासन ने दोनों ही स्थलों में होने वाले मेले के आयोजन को रद्द कर सोशल डिस्टेसिंग के साथ माता के दर्शन के लिए 7 से 15 अक्टूबर के मध्य भक्तों के कोरोना टीकों की जांच के उपरांत ही श्रद्धालुओं को मंदिर में दर्शन की अनुमति दी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार असुरों के वध के लिए ब्रम्हा एवं शंकर जी के नेतृत्व में समस्त देवताओं की संचित शक्तियों के प्रकाशपुंज से आदिशक्ति मां दुर्गा का स्वरूप निर्मित हुआ। माता के नौ रूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
आदि की उपासना से जहां श्रद्धालुओं को अक्षय सुखों की प्राप्ति होती है वहीं नौ दिन उपवास करने से माता भक्तों के दु:ख हरती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। ऐसे में मां दुर्गा की सवारी पालकी होगी। मां दुर्गा पालकी या डोली से आएंगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 7 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।

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