रायपुर, 30 सितम्बर (आरएनएस)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शांति और अहिंसा की अवधारणा के लिए यह जरूरी है कि हर हाथ को काम मिलेे और सभी को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार मिले। महात्मा गांधी ग्राम स्वराज्य की बात करते थे। छत्तीसगढ़ सरकार उनके इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए महिलाओं और ग्रामीणों को स्वावलंबन की राह पर आगे बढ़ाने, लोगों को अधिकार देने और उन्हें रचनात्मक कार्यों से जोड़ने की दिशा में कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने आज राजधानी रायपुर के टाउन हॉल में ‘आज के संदर्भ में गांधी जी की शांति की अवधारणा और संभावना‘ विषय पर आयोजित विचार संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए।    यह कार्यक्रम गांधी विचार फाउंडेशन, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एवं न्यू नेरेटिव फोरम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गांधीवादी और एकता परिषद के संस्थापक श्री राजगोपाल पी.वी. ने की। गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के गांधीवादी विचारक श्री कुमार प्रशांत कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे। वरिष्ठ गांधीवादी चितंक प्रोफेसर बालचंन्द्र कचवाह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को आजादी की लड़ाई में अस्त्र बनाया। उन्होंने देश को आजादी दिलायी और समाज के वंचित, शोषित, दलितों और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। बापू ने आम जनता में स्वाभिमान जगाने का काम किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बापू के आदर्शों पर चलकर सभी वर्गों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुराजी गांव योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत गांवों में बनाए गए गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़ कर स्वावलंबन की ओर बढ़ रही हैं। महिलाएं गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रही हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर के अवसर पर छत्तीसगढ़ के गौठानों में गोबर से बिजली बनाने का काम शुरू होगा। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की गांवों की गौठान समितियों का भी अब अपना पॉवर प्लांट होगा। हर गौठान में एक एकड़ भूमि में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किया जाएगा। जहां स्व-सहायता समूह छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से साबुन, चप्पल जैसी वस्तुओं का उत्पादन कर स्वावलंबी बनेंगे। उन्होंने कहा कि गौठानों में नीम, करंज, चरौटा, तिलहन फसलों के तेल पेराई का काम भी शुरू होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा तेलघानी बोर्ड का गठन किया गया है। इसके माध्यम से गौठानों में भी तेल निकालने के लिए जरूरी व्यवस्थाएं की जाएंगी।