«   रायपुर, 19 जुलाई (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रथम स्वप्नदृष्टा, गांधी विचारक तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. खूबचंद बघेल की 121वीं जयंती के अवसर पर आज राजधानी रायपुर स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय के सभागार में व्याख्यान-संस्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत संचालक विवेक आचार्य, साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.एल. वर्मा, डॉ. सत्यभामा आडिल, डॉ. जागेश्वर प्रसाद, छत्रपाल सिरमौर,  शेषनारायण बघेल, अमित बघेल, डॉॅ. विष्णु बघेल, सहित डॉ. खूबचंद बघेल और डॉ. जगन्नाथ बघेल के परिजन एवं उत्तराधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति विभाग द्वारा किया गया।डॉ. खूबचंद बघेल के परिजन एवं साहित्यकार  विष्णु बघेल ने अपने व्याख्यान में कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के स्वप्नदृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल जी एक चिंतक, विचारक के साथ-साथ एक अच्छे प्लानर भी थे। वे योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन भी बेहतर ढंग से करते थे। डॉ. बघेल सामाजिक परिवर्तन के सिपाही और आर्थिक मुक्ति आंदोलन के प्रतीक थे। इसीलिए उन्होंने सिलयारी में सर्वप्रथम सहकारी सोसायटी की स्थापना कर किसानों को लाभ पहुंचाया। डॉ. बघेल कहते थे, यदि आपके पास सौ एकड़ जमीन है वह एक तरफ और पढ़ाई एक तरफ। एक तरफ इसलिए पढ़ाई को महत्व देना चाहिए, इनके प्रेरणाप्रद इस वाक्य के परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ में अधिकांश लोग शिक्षा की ओर अग्रसर हैं। साहित्यकार डॉ. विष्णु बघेल ने बताया कि डॉ. खूबचंद बघेल कहा करते थे जब तक हम एक समाज एकजुट नहीं होंगे तो हमारा देश कैसे एक होगा। इसलिए देश की एकता और अखंडता के लिए समतामूलक समाज जरूरी है। साहित्यकार डॉ. परदेसी वर्मा ने संस्करण सुनाते हुए कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल वैश्विक स्तर के चिंतनशील व्यक्ति थे। वे देश की आजादी, अस्मिता और यश के लिए काम किये। डॉ. बघेल हमेशा शोषण मुक्त देश की कल्पना करते थे और निचले स्तर पर हो रहे शोषण को रोकने का प्रयत्न किया। डॉ. बघेल किसान हितैषी थे, वे किसानों के आर्थिक मजबूती के लिए सदा तत्पर रहते थे। वे सामाजिक समानता के प्रति लोगों को जागरूक करने ‘‘ऊँच-नीच’’ नाटक की ना सिर्फ रचना की बल्कि उनका मंचन कर अस्पृश्यता के प्रति लोगों को जागरूक किया। डॉ. परदेसी वर्मा ने संस्मरण में एक घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि ग्राम चंदखुरी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी द्वारा अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति के बाल काटे जाने पर उन्हें समाज से छोड़ दिया जाता है फिर डॉ. खूबचंद बघेल ने ऊंचे पद में रहने के बावजूद उस ग्राम में ‘‘ऊँच-नीच’’ नाटक का मंचन कर ग्रामीणों को जागरूक किया। आखिरकार ग्रामीणों ने माफी मांगी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को ससम्मान समाज में पुनः मिला लिया। डॉ. परदेशी वर्मा ने कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल यश और प्रसिद्धि पाने के लिए लेखन व रचना नहीं करते थे, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लेखन व रचना करते थे।