किसानों को साढ़े सात हजार रूपए प्रति हेक्टेयर का दिया जाता है अनुदान
महासमुन्द 15 जुलाई(आरएनएस)। छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में वर्तमान में छिटका (ब्राड कास्टिग) पद्धति के माध्यम से धान की बुआई की जाती है। इस परम्परागत पद्धति से धान की बुआई की जाती है। इस पद्धति में बीज की खपत ज्यादा होती है। वही निंदाई, गुड़ाई, कटाई आदि में अधिक खर्च एवं कठिनाई होती है। कृषि कार्य के लिए श्रमिकों की लागत को देखते हुए किसानों का रूझान अब पैडी ट्रांसप्लॉटर मशीन से धान की रोपाई के प्रति बढ़ रहा है।
कृषि विभाग के संचालक श्री यशवंत कुमार ने बताया कि राज्य शासन के कृषि विभाग द्वारा किसानों को पैडी ट्रांसप्लॉटर मशीन से धान रोपाई के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस आधुनिक पद्धति से धान रोपाई के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के सभी क्षेत्रों के सभी वर्ग के किसानों को प्रति हेक्टेयर की दर से साढ़े सात हजार रूपए का अनुदान प्रदाय किया जाता है। अपर संचालक कृषि अभियांत्रिकी श्री जी.के. पीडिया द्वारा बताया कि पैडी ट्रांसप्लॉटर मशीन से धान की रोपाई के लिए क्लस्टर के रूप में कृषकों का चयन किया जाता है तथा एक किसान को अधिकतम 02 हेक्टेयर सीमा तक अनुदान की पात्रता है। महासमुन्द जिले के ग्राम साराडीह के किसान श्री अनिल चंद्राकर अपने खेत में पैडी ट्रांसप्लॉटर मशीन के माध्यम से रोपाई करवा रहे है। इसके लिए उन्होंने अपने खेत में करीब 15 दिन पहले नर्सरी तैयार करवाया है। इसी तरह महासमुन्द जिले के साथ-साथ अन्य जिले में भी किसान लाभान्वित हो रहें हैं।