रायपुर 20 जून (आरएनएस)।   मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बस्तर में बहुमूल्य वनोपजों के वेल्यूएडिशन से रोजगार की भरपूर संभावना है। बस्तर की वनोपजों में वेल्यूएडिशन किया जाए, तो रोजगार के लिए बस्तर के युवाओं को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। वनोपजों के वेल्यूएडिशन और उनके व्यापार के जरिए न सिर्फ बस्तर के युवाओं को ही बल्कि अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी रोजगार और आय के बेहतर साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं। श्री बघेल ने कहा कि बस्तर के आम, इमली और काजू के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन के बाद इन उत्पादों को देश-विदेश में काफी अधिक दाम पर बेचा जा रहा है। दंतेवाड़ा की डेनेक्स फैक्ट्री में तैयार गारमेंट अब बेंगलूरू में जा रहा है। ये बदलते बस्तर और दंतेवाड़ा की नई तस्वीर है।  मुख्यमंत्री ने आदिवासी अंचल के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में कोण्डागांव और दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे कार्याें की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमारे खेत और जंगल हमारी असली ताकत है, अपनी इसी ताकत से हम नवा छत्तीसगढ़ का निर्माण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में कोण्डागांव और दंतेवाडा जिले में 544 करोड़ 86 लाख रूपए के 788 विकास कार्याें का लोकार्पण और भूमिपूजन के बाद समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कोण्डागांव जिले को 204.15 करोड़ रूपए के 131 कार्याें और दंतेवाड़ा जिले को 340.71 करोड़ रूपए के 657 विकास कार्याें की सौगात दी। इस अवसर पर इन दोनों जिलों के विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से वर्चुअल रूप से चर्चा की और उन्हें मिल रहे फायदों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि वेल्यूएडिशन के काम में और शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे सुपोषण अभियान में जिन चीजों की आवश्यकता होती है, उनकी आपूर्ति के काम में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाए। इससे न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण सामग्री ही मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के अच्छे साधन भी मिलेेंगे। श्री बघेल ने इस संदर्भ में बस्तर के विभिन्न जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा अण्डा उत्पादन और इसकी आपूर्ति मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाडि़यों में करने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में और स्कूलों के माध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के लिए पहले आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से अण्डा मंगाए जाते थे, अब अण्डों की आपूर्ति महिला स्व-सहायता द्वारा मुर्गी पालन के जरिए उत्पादित अण्डों से की जा रही है।