आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी

रिपोर्ट -अजय सिंह
Pratapgarh..04 May.(Rns)…. प्रतापगढ़ के दलीय चुनाव का नतीजा आ चुका है।जिला पंचायत के चुनाव में यहाँ से 57 में से मात्र 5 सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा को सफलता मिली है। अपने चहेतों को जिताने के लिए पार्टी के बड़े बड़े दिग्गज मैदान में उतर गए थे। इनमें विधायक, पूर्व सांसद, वर्तमान सांसद से लेकर मंत्री तक ने इस चुनाव को लेकर अपना सब कुछ झोंक दिया।इतनी मशक्कत के बाद सिर्फ 5 सीटें मिलना यह बताता है कि आनेवाले चुनाव में कहानी क्या हो सकती है।जिला पंचायत की ज्यादातर सीटें सपा,निर्दलीय, जनसत्ता ,कॉग्रेस आदि ने आपस मे बांट लिया है।जिसमे सपा को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली है।कमोबेश यही हाल उत्तर प्रदेश के हर जनपद का रहा है।जिस तरह से सपा को सफलता मिली है निश्चित रुप से उनका मनोबल बढ़ेगा।इस जीत ने पार्टी के अन्दर एक नया जोश भर दिया है जिसका असर आनेवाले समय मे दिखाई देगा।फिलहाल अगला लक्ष्य पंचायत अध्यक्ष बनाने की है जो अभी किसी भी पार्टी के लिए आसान नही है।लेकिन इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि सत्ता विरोधी सभी पार्टीयों में एक नई जान सी आ गयी है। पूरी तरह से इन्हीं नतीजो के आधार पर आने वाले चुनाव का परिणाम मान लेना भी गलत होगा।जिला पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में बहुत फर्क होता है।दोनों की उम्मीदवारी वोटरों पर अलग असर डालती हैं।विधानसभा की अपेक्षा जिलापंचायत का क्षेत्र सीमित होता है अगर 15 से 20 उम्मीदवार खड़े हो जाय तो हर दूसरे ग्रामपंचायत से एक उम्मीदवार मिल जायेगा।ऐसी परिस्थिति में मतदाता असमंज में पड़ जाता है कि वह पार्टी को वोट करे कि व्यक्तिविशेष को।इस चुनाव में यही देखा गया है ।मतदाताओं ने पार्टी की जगह अपने नजदीकी उम्मीदवारों को वोटिंग की है।इस नजरिए से सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी लाज बचाने का अवसर अवश्य मिलता है।दूसरी तरफ अगर परिणाम देखा जाय तो भाजपा को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।पार्टी ने उम्मीदवारों को चुनने में गलती की है।जनपद में भाजपा प्रतिनिधयों को या तो उनकी आत्ममुग्धता ने या उनकी कार्यशैली के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।दूसरी तरफ अन्य पार्टियों खास करके सपा का सारा दांव सटीक बैठा।भाजपा से गलती हुई है इसका चिंतन निश्चित रूप से पार्टी करेगी।अब देखना ये है कि प्रदेश में कौन सी पार्टी अपने कितने अध्यक्ष बना पाती है क्योंकि अब सारी पार्टियां अध्यक्ष बनाने के लिए पूरा जोर लगा देंगी।इस चुनाव में भाजपा को सपा से कड़ी टक्कर मिली है।किसी के लिये भी अपना अध्यक्ष बनाना आसान नही होगा।जोड़ तोड़ की राजनीति भी देखने को मिल सकती है।जनपद में भाजपा के पास मात्र 5 सदस्य हैं तो क्या वह अपने सहयोगी पार्टी और निर्दलीयों के साथ अपना अध्यक्ष बना पाती है कि नही।यह भी नही भूलना चाहिये कि राजा भइया का भी जनपद में अच्छा खासा दबदबा है ऐसे में भाजपा सपा और जनसत्ता में यह लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है।

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