दमोह में कांग्रेस ने फिर लहराया परचम : जीत का बनाया रिकार्ड

*सुसंस्कृति परिहार

Damoh… 03May (Rns)…. यह बात बहुत पहले से साफ हो गई थी कि दमोह से कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी खड़ा होगा उसकी जीत पक्की होगी क्योंकि पिछले चुनाव में राहुल सिंह को कांग्रेस ने जिस विश्वास से जनता के बीच उताराऔर जिताया था उसने सिर्फ कांग्रेस से ना केवल छल किया बल्कि उसके मनोबल को तोड़ा और उससे ज्यादा जनता की नज़रों में उन्हें गिरा दिया । राहुल को कांग्रेस ने उस स्थिति में जिताया जब लोग उन्हें जानते भी नहीं थे।इस जीत के लिए पूरी ताकत तब के कांग्रेस अध्यक्ष अजय टंडन ने लगाई ।बिखरी कांग्रेस को इकट्ठा किया और कद्दावर नेता जयंत मलैया को परास्त किया।
दलबदल के बाद राहुल दमोह में मुंह दिखाने तीन माह बाद आए साथ में मंत्री का दर्जा और दमोह में मेडीकल कॉलेज के वादे के साथ बड़े लाव-लश्कर के सुरक्षा घेरे में । लेकिन धन्य हैं वे नौजवान जिनने जान जोखिम में रखकर उन्हें जनता से छलावा करने पर जूते की माला पहिनाने की जुर्रत की । दोनों साथी द्रगपाल और सुनील पकड़े गए,बुरी तरह पीटे गए जेल भी हो आए।इस घटना पर जो प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं वे थीं ये तो अच्छा किया यही हमारी इच्छा थी ।ज्ञात हो,बताते हैं राहुल सिंह को महिलाओं ने जूतों से मारने की धमकी दी थी।समझा जाता है इसलिए शिवराज का उन पर विशेष स्नेह बरसा जिससे उन्हें मंत्री पद,सुरक्षा आदि दी गई और भी कारण थे जिनमें प्रमुख, शिवराज जयंत मलैया की राजनीति ख़त्म करने ही राहुल को भाजपा में लाए थे। उपचुनाव में टिकिट के लिए मलैया के प्रयासों की असफलता इस बात को पुष्ट करती है कि राहुल को जिताने का पूरा इरादा शिवराज और उनकी सरकार का था । भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बी डी शर्मा की दमोह में लगातार हाज़िरी, भूपेंद्र सिंह का प्रभार अनेकों स्वानाम धन्य नेताओं के उपस्थिति के बाद मलैया के कार्यकर्ताओं का राहुल को असहयोग, चुनाव के अंतिम चरण में दमोह भाजपा के बड़े कार्यकर्ताओं का क्वारंटीन हो जाना , सबसे बड़ी बात मलैया का चुनाव पूर्व विधानसभा सभा का दौरा सिर्फ इसलिए था कि राहुल को टिकिट मिलती है तो सबको विरोध करना है तथास्तु।हुआ भी वही मलैया जिनका वार्ड कभी कांग्रेस नहीं जीत पाई में पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की।शहर में तो कांग्रेस ने सभी वार्ड जीतकर अपना रुतबा कायम कर यह संदेश दिया है कि नगरपालिका भी उसकी ही बनेगी । गांवों में मिली बढ़त पंचायतों का रूझान बता रही है ।
इसीलिए कुछ लोग कह रहे हैं कि इस चुनाव में एक बात तो सिद्ध हो गई कि पार्टी से बढ़ा स्वार्थ होता है, राहुल को हराने में भाजपाइयों का ज्यादा हाथ है। यहाँ राहुल नही हारा प्रह्लाद का अहम हारा है और जयंत मलैया का अहम जीता है.. यहां अजय टंडन नही जीते यहां जीती है कूटनीति.. या षड्यंत्र कहे तो ज्यादा बेहतर होगा..।सच है लेकिन एक बात और सोचनी होगी कि पिछला चुनाव राहुल कांग्रेस से कैसे जीते थे?तब तो भाजपा में एका थी।
सबसे बड़ी बात यही समझ में आती है कि कांग्रेस की जीत तो सौ प्रतिशत तय थी क्योंकि उसका अपना पक्का वोट तो था ही साथ ही साथ राहुल का दलबदल जनमानस को हिला गया । विदित हो यहां भाजपा कांग्रेस के बीच एक आध चुनाव को छोड़कर कभी ज्यादा अंतर नहीं रहा है।इस बार जीत का बढ़ा हुआ आंकड़ा निश्चित ही भाजपाई बेवफाई का परिणाम है । कांग्रेस की इस पुनर्जीत ने यह सिद्ध कर दिया है कि दमोह के मतदाता दलबदलुओं को पसंद नहीं करते ।इससे पूर्व चंद्रभान सिंह दलबदल करने पर दमोह की जनता सबक सिखा चुकी है । दूसरी बात वह मंत्री का दर्जा देकर भेजने वाले, मेडीकल कॉलेज का शिलान्यास करने वाले को भी ठुकराकर विपक्ष में विधायक को बैठाना पसंद करती है । आमतौर पर जनता सत्तारूढ़ दल को जिताती है। दमोह ने इन समीकरणों को नकार दिया और ईंट का जवाब पत्थर से देकर जनमत की ताकत को दिखा दिया है। दमोह की जनता का ये दमदार जवाब सरकार को एक बड़ा सबक है ।जिसने इस बार 17हज़ार से अधिक मतों से कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन को जिताकर नया रिकार्ड बनाया है

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