मुख्यमंच पर संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत राजकीय गीत से साथ, दर्शकों ने खड़े होकर किया सम्मान
राजिम, 02 मार्च फरवरी (आरएनएस)। माघी पुन्नी मेला के तृतीय दिवस मुख्यमंच पर लोक कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की झांकी को नृत्य गीत के माध्यम से उजागर किया। मुख्यमंच के सामने व सीढ़ी के ऊपर दर्शकों की खचाखच भीड़ रही। प्रतिदिन सांस्कृतिक मंच में एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बांध कर रखा। कलाकार घनश्याम महानंद एवं उनकी टीम ने कार्यक्रम की प्रथम कड़ी में राजकीय गीत अरपा पैरी के धार से…. कार्यक्रम का शुभारंभ किया राजकीय गीत के सम्मान में समस्त दीर्घा में बैठे सारे दर्शक सावधान की स्थिति में खड़े हो गये और गीत की प्रस्तुति के पश्चात् में छत्तीसगढ़ महतारी की जयकारे के बाद ही सभी अपने स्थान पर बैठ गये। ÓÓछत्तीसगढ़ी हा हमर भाखा हे येकर मान बढ़ाबों हमन गढ़बों छत्तीसगढ़…. छत्तीसगढ़ी मा गोठियाबों…ÓÓ इस नृत्य व गीत की सुंदर प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की महिमा बोली, भाषा के महत्व को गीत के माध्यम से बहुत ही सुंदर ढंग से दर्शाया गया जिसे सुनकर दर्शकों ने सहज ही जोरदार तालियों से स्वागत किया। आदिवासी आवव रे आदिवासी आवव रे…. की इस सुंदर प्रस्तुति में कलाकार ढोलक, मंजीरे की थाप पर एक ताल और लय देकर अपने सुंदर भाव भंगीमा के साथ बहुत ही मनमोहक प्रस्तुती दी। जिसमें आदिवासीयों की परंपराओं, रीति-रिवाजों और उनके मनोंरंजन के साधनों को नृत्य और गीत कें माध्यम से प्रस्तुत किया। जिससे पूरा महोत्सव स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। छत्तीसगढ़ की उभरती गायिका श्रद्धा महानंद जो कि घनश्याम महानंद की सुपूत्री है, उन्होंने लाली गुलाल ला छितत रहिबे रसियां मोर…. चैरा मा गोंदा फूल… गीतों की बहुत सुंदर प्रस्तुती दी।