रायपुर, 22 दिसम्बर (आरएनएस)। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा विपणन के संबंध में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला ने बताया कि इसमें राज्य के विभिन्न स्थानों से लगभग 6 हजार 800 हितग्राहियों ने भाग लेकर लाभ उठाया। छत्तीसगढ़ में वनवासियों के हित में ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में 52 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। कोरोना संकट के समय भी वनवासी हितग्राहियों को उनके वनोपज का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से राज्य में पहली बार वृहद स्तर पर कोरोना से बचाव के मापदण्डों को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण दिया गया। इसमें राज्य के बस्तर संभाग तथा सरगुजा जैसे संभागों के दूरस्थ इलाके स्थित दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले के नकुलनार, बीजापुर जिले के आवापल्ली तथा भोपालपट्टनम से भी महिला स्व-सहायता समूहों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिवस विषय विशेषज्ञों द्वारा लघु वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण, भुगतान प्रक्रिया, लघु वनोपज, बाजार मानक तथा उत्पाद आदि के बारे में जानकारी दी गई। इसके द्वितीय दिवस में हितग्राहियों को इमली, शहद, लाख पालन तथा प्रसंस्करण विधि के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया। उल्लेखनीय है कि 52 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेल गुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा) शामिल हैं। इसके अलावा जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज सहित) तथा फूल ईमली (बीज रहित), गिलोय तथा भेलवा, वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, इमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज शामिल हैं। इसी तरह कुसुमी बीज, रीठा फल (सूखा), शिकाकाई फल्ली (सूखा), सतावर जड (सूखा), काजू गुठली, मालकांगनी बीज तथा माहुल पत्ता शामिल है।