पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ा प्रदूषण
0-चिंतित केंद्र ने 50 निगरानी दलों को किया तैनात
नई दिल्ली,15 अक्टूबर (आरएनएस)। दिल्ली-एनसीआर में अभी से ही वायु प्रदूषण की जैसी गंभीर समस्या सामने आने लगी है, इसे लेकर केंद्र सरकार ने गंभीरता दिखाई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के मौसम में सर्वाधिक प्रदूषित स्थलों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमों को तैनात किया। साथ ही उन्होंने पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने की अपील की।
हालांकि उन्होंने कहा कि पराली जलाना दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल चार प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण है। इसके अलावा, 96 प्रतिशत प्रदूषण बायोमास जलाने, कचरा फेंकने, कच्ची सड़कों, धूल, निर्माण और तोड़-फोड़ संबंधियों गतिविधियों इत्यादि के कारण है। जावड़ेकर ने कहा कि हाल में जब वह लुधियाना के दौरे पर गए थे, तो पराली जलाने के कारण उठ रहे धुंए से उनका दम घुटने लगा था। उन्होंने कहा कि वह पंजाब सरकार से अपील करते हैं कि वह कार्रवाई करे और पराली जलाए जाने पर रोक लगाए। उन्होंने सीपीसीबी दलों के नोडल अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे आगामी दो महीने के लिए काम करेंगे और सभी गतिविधियों एवं शिकायतों का संज्ञान लेंगे। आप निरीक्षण करेंगे। आपके पास रिपोर्ट दायर करने का अधिकार होगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि जिस प्रकार कोरोना वायरस योद्धाओं की प्रशंसा की जाती है, आप (सीपीसीबी अधिकारी) सभी योद्धा भी प्रदूषण से लड़ रहे हैं और हम आपकी बहुत सराहना करते हैं। हम दो महीने बाद मिलेंगे। मंत्री ने कहा कि एक ओर जहां पराली जलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर आम लोग, यहां तक कि कर्मचारी भी कचरा जला रहे हैं। उन्होंने कहा, हमें उन पर भी नजर रखनी होगी। जावड़ेकर ने लोगों से निकट स्थानों पर जाने के लिए साइकिलों का इस्तेमाल करने की अपील की। सीपीसीबी के 50 दल 15 अक्टूबर से अगले साल 28 फरवरी तक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषित स्थलों पर नजर रखेंगे। वे दिल्ली, उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ, हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, झज्जर, पानीपत और सोनीपत तथा राजस्थान के भिवंडी, अलवर और भरतपुर जाएंगे।
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