एमपी-बीएसएफ से आए अफसरों के चलते राज्य के 6 अफसरों का आईपीएस अवार्ड अटका

0-छत्तीसगढ़ स्टेट पुलिस ऑफि सर्स एसोसिएशन ने भी जताई नाराजगी
रायपुर, 19 सितंबर (आरएनएस)। राज्य प्रशासनिक सेवा 1998 बैच के अफसरों का आईपीएस अवार्ड फिलहाल विवादों के घेरे में आ गया है। वरिष्ठ अफसरों की नाराजगी व छत्तीसगढ़ स्टेट पुलिस ऑफि सर्स एसोसिएशन की आपत्ति के बाद यह मामला अटग गया है।
सूत्रों की माने तो यह मामला पेचीदा इसीलिए भी हो रहा है कि क्योंकि अवार्ड में एमपी और बीएसएफ से राज्य पुलिस सेवा में शामिल दो अफसरों का नाम भी शामिल है। इसके चलते जिन 6 स्थानीय अधिकारियों को अवार्ड मिलना था उनमें से अब केवल 4 लोगों का नाम ही शामिल हो पाएगा।
नया विवाद राज्य सेवा से आईपीएस अवार्ड से जुड़ा है। ज्ञात हो कि राज्य सेवा वर्ष 1998 बैच के 6 अफ सरों को आईपीएस अवार्ड होना है, इसमें पहला नंबर धर्मेंद्र सिंह छवई का है, दूसरा दर्शन सिंह मरावी और तीसरा यशपाल सिंह का नाम है। इसके बाद उमेश चौधरी, मनोज खिलारी और रवि कुरे हैं। छवई मध्यप्रदेश पीएससी से 1996 में डीएसपी सलेक्ट हुए थे, छत्तीसगढ़ बनने के बाद उन्हें यहां भेजा गया, जिसके विरोध में वे हाईकोर्ट गए थे, अब वे छत्तीसगढ़ आ गए हैं। उनके आने के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि मध्यप्रदेश में फि लहाल 1995 बैच के अधिकारियों को ही आईपीएस अवार्ड नहीं हुआ है. जबकि यहां 1998 बैच के तीन अफ सर राजेश अग्रवाल, विजय अग्रवाल और रामकृष्ण साहू आईपीएस हो गए हैं। इन सबके कारण सीडी टंडन, सुरजनराम भगत और प्रफुल्ल ठाकुर आदि पीछे रह जाएंगे। सबसे बड़ा विवाद यशपाल सिंह के छत्तीसगढ़ पुलिस कैडर में संविलियन को लेकर है। यशपाल सिंह 2010-11 में छत्तीसगढ़ आए थे। बीएसएफ कैडर के अधिकारी होने के बावजूद उन्हें सीधे एडिशनल एसपी बना दिया गया, जबकि डीएसपी के पद पर संविलियन होना था। राज्य गठन वर्ष 2000 में हुआ, इसलिए 1997 कैडर देने पर भी आपत्ति है। इधरछत्तीसगढ़ स्टेट पुलिस ऑफि सर्स एसोसिएशन ने इस बात पर आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के सदस्य मनोज खिलारी का कहना है कि दूसरे राज्यों से आए अधिकारियों के संविलियन के कारण डीएसपी कैडर के साढ़े चार सौ से ज्यादा अधिकारियों का हित प्रभावित होगा. वैसे यह विवाद जब रमन सरकार ने इन्हें शामिल किया था तब से ही चल रहा है. उस वक्त रापुसे संघ के प्रतिनिधियों ने सरकार के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराया था।
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