21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप है राष्ट्रीय शिक्षा नीति: राष्ट्रपति कोविंद

नई दिल्ली,07 सितंबर (आरएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है और यह 21वीं सदी की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं के अनुरूप देश के लोगों, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढऩा है जो राष्ट्र-गौरव के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से ओत-प्रोत हों और सही अर्थों में वैश्विक नागरिक बन सकें। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के आकलन के अनुसार, भारत के कार्यबल में 5 प्रतिशत से भी कम लोगों ने औपचारिक व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की थी। यह संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका में 52 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में 96 प्रतिशत थी। कोविंद ने कहा कि भारत में व्यावसायिक शिक्षा के प्रसार में तेजी लाने की आवश्यकता को देखते हुए यह तय किया गया है कि स्कूल तथा उच्च शिक्षा प्रणाली में वर्ष 2025 तक कम से कम 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कला और संस्?कृति को प्राथमिकता दी गई है। इससे विद्यार्थियों में सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी और भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। विविध भाषाओं वाले हमारे देश की एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने में इससे मदद मिलेगी।ÓÓ राष्ट्रपति ने कहा कि 1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 प्रतिशत निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गयी है कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतान्त्रिक समाज का आधार होती है। अत: सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है। राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है। साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सभी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो तथा एक जीवंत व समता-मूलक ज्ञान आधारित समाज का निर्माण हो।
भारत को नॉलेज इकोनॉमी बनाने पर दें जोर: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 21 वीं सदी में एक नॉलेज इकोनॉमी बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि 21वीं सदी में भी भारत को हम एक नॉलेज इकोनॉमी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति ने प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए और सामान्य से सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी अच्छे इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट्स के कैंपस भारत में स्थापित करने का रास्ता खोला है। प्रधानमंत्री ने राज्यपालों और कुलपतियों से अपने राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अधिक से अधिक वर्चुअल कांफ्रेंस कर नई शिक्षा नीति पर चर्चा करने का सुझाव दिया। ताकि लोग इस नीति को अच्छे से समझ सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को राज्यपालों और कुलपतियों के वर्चुअल कांफ्रेंस में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पूरा खाका समझाया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति, पढऩे के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर आलोचनात्मक सोच पर जोर देती है। इस पॉलिसी में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति को देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के लिए तैयार करने वाला बताया। उन्होंने कहा, आज दुनिया तेजी से बदलते जॉब्स, नेचर ऑफ वर्क को लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक नॉलेज और स्किल्स, दोनों मोचरें पर तैयार करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में आधारभूत सीख और भाषा पर भी फोकस है। इसमें सीखने के परिणाम और टीचर्स ट्रेनिंग पर भी फोकस है। इसमें पहुंच और मूल्यांकन को लेकर भी व्यापक सुधार किए गए हैं। इसमें हर विद्यार्थी को सशक्त करने का रास्ता दिखाया गया है।
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