(महत्वपूर्ण)(नईदिल्ली)भारत का अब चीन को आरसीईपी में झटका

0-फिर किया इस फॉरम में शामिल होने से इंकार
0-जापान-कोरिया-ऑस्ट्रेलिया में भी फोरम में चीन का वर्चस्व कम करने पर मंथन
0-व्यापार क्षेत्र में अब चीनी दबदबा स्वीकार नहीं करना चाहता भारत
नई दिल्ली,13 जुलाई (आरएनएस)। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के कारण भारत और चीन के बीच आर्थिक मोर्चे पर तनातनी और बढ़ गई है। चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने लगातार दूसरी बार चीन की अगुवाई वाले रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में शामिल होने से इंकार कर दिया है। चीन को झटका देने केलिए इस फॉरम में पहले से शामिल जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश नई रणनीति बना रहे हैं।
दरअसल 15 देशों के इस फॉरम ने भारत ने पिछले साल भी शामिल होने से इंकार कर दिया था। भारत की योजना इस साल इस फॉरम से जुडऩे की थी। चीन ने भी भारत के समक्ष इस आशय का प्रस्ताव रखा था। हालांकि इसी बीच एलएसी पर तनाव के कारण भारत ने इससे फिर से दूरी बनाने का फैसला कर लिया। सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह फॉरम मुक्त व्यापार से जुड़ा है। इसमें भारत के शामिल होने पर चीन को पहले की तुलना में और ज्यादा लाभ होगा। इसलिए निर्णय लिया गया है कि भारत ऐसे किसी फॉरम में शामिल नहींं होगा, जिसमें चीन को आर्थिक लाभ की गुंजाइश हो।
चीन के खिलाफ जुगलबंदी
दरअसल अब तक इस फॉरम से जो देश जुड़े हैं, उनमें कई देश कोरोना सहित अन्य कारणों से चीन से बहुत अधिक खफा हैं। इसमें शामिल जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड सहित कई देशों के बीच इस फॉरम में चीन की बढ़त को कम करने की रणनीति बन रही है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर, ताईवान, कोराना सहित कई मामले में इन देशों के साथ चीन की तनातनी चल रही है। गौरतलब है कि वर्तमान में इस फोरम में म्यांमार, फिलीपिंस, थाईलैंड, लाओस, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम शामिल हैं।
भारत को होता घाटा
दरअसल इस फोरम से जुड़ कर मुक्त व्यापार की परिकल्पना को स्वीकार करने से जहां चीन की ताकत बढ़ती, वहींं भारत को बड़ा घाटा उठाना होता। खासकर चीन से आयात करना और सस्ता हो जाता। चूंकि वर्तमान समय में पहले ही चीन भारत को आयात के मुकाबले पांच गुना ज्यादा निर्यात कर रहा है, इसलिए इस फोरम से जुडऩे के बाद इस अंतर में और बढ़ोत्तरी होती।
हर मोर्चे पर चीन को अहसास कराने की तैयारी
दअरसल एलएसी पर तनाव के बाद भारत बेहद नाराज है। भारत चाहता है कि उसकी ओर से हर मोर्चे पर चीन के लिए मुश्किलें खड़ी हो। जिससे भविष्य मेंं वह एलएसी पर बेवजह तनाव पैदा करने से डरे। इसी रणनीति के तहत भारत ने जहां 49 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने के साथ कई परियोजनाओं मेंं चीन को मिले ठेके रद्द किए हैं। वहीं चीन को लगातार संदेश दिया जा रहा है कि भारत 5जी सेवा से उसकी कंपनी हुवावे को दूर रखेगा। इसके अलावा भारत दक्षिण चीन सागर में अपनी आक्रामक भूमिका का भी चीन को लगातार संदेश दे रहा है।
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