सहमतियों का सम्मान करने चीन को भारत ने दी नसीहत

0-पाकिस्तान को सुनाई खरी खरी
0-घरेलू समस्या के लिए भारत को जिम्मेदार नहीं ठहराए पाक
नई दिल्ली,02 जुलाई (आरएनएस)। भारत ने एक बार फिर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव को कम करने के लिए चीन को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर हुई वार्ता के दौरान बनी सहमतियों का सम्मान करने की नसीहत दी है। भारत ने उम्मीद जताई है कि एलएसी पर तनाव कम करने के लिए वार्ताओं केदौरान दोनों पक्षों में बनी सहमतियों का चीन सम्मान करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वरिष्ठï कमांडरों और कूटनीतिक वार्ता के दौरान हुई वार्ता में दोनों पक्ष ने एलएसी पर शांति बहाली पर सहमति जताई है। दोनों पक्ष चरणबद्घ तरीके से एलएसी पर सैन्य जमावड़े को कम करने पर सहमत हैं। भारत को उम्मीद है कि चीन इन वार्ताओं मेंं बनी सहमति को सम्मान देते हुए एलएसी पर तनाव को कम करने की पहल करेगा। इस दौरान 59 चीनी एप पर लगे प्रतिबंध संबंधी सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि भारत डिजिलट और इंटरनेट के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। मगर सेवा प्रदाता कंपनियों को देश के कानून और संविधान के मुताबिक निजी और अन्य तरह के डाटा की सुरक्षा की गारंटी देनी होगी। चीन की ओर से इस मामले को विश्व व्यापार संगठन के समक्ष उठाने की चेतावनी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत मुक्त व्यापार का हितैषी रहा है। मगर हमारे लिए देश की सुरक्षा और देश के लोगोंं के निजी जानकारियों की सुरक्षा अहम है।
अपनी करतूतों का जिम्मेदार हमेंं ना ठहराए पाकिस्तान
करांची शेयर बाजार पर आतंकी हमला मामले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने संबंधी पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने बेहद कड़ी टिप्पणी की। प्रवक्ता ने कहा कि यह पाकिस्तान की घरेलू समस्या है। दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद की जड़ें कहां हैं? आतंकवाद को पोषित करना और उसे संरक्षण देना पाकिस्तान की सरकारी नीति है। ऐसे में पाकिस्तान भारत पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबां में झांके। अपनी गलतियों का ठीकरा भारत पर ना डाले।
नेपाल से बेहतर संबंध का इच्छुक
नेपाल में पीएम ओली के समक्ष आई कुर्सी बचाने की नौबत और ओली का भारत पर साजिश रचने संबंधी आरोपों को विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया। प्रवक्ता ने कहा कि भारत हमेशा नेपाल से बेहतर द्विपक्षीय संबंध चाहता है। दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों के पीछे सैंकड़ों सालों की सांस्कृतिक समानता है। भारत ने कोरोना वायरस के कहर के अलावा अन्य संकटों के समय नेपाल का आगे बढ़ का साथ दिया है।
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