(नई दिल्ली/रायपुर)सरकार लोगों के हाथों में सीधे पैसा क्यों नहीं पहुंचाती : राहुल
0- भारत की मैन्यूफैक्चरिंग पर है दुनिया की नजर : राजीव
0- राहुल गांधी और उद्योगपति राजीव बजाज के बीच लंबी बातचीत
नई दिल्ली/रायपुर ,04 जून (आरएनएस)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से कोविड-19 समेत विभिन्न मुद्दों पर लंबी चर्चा की। इस अवसर पर राजीव ने कहा, भारत की मैन्यूफैक्चरिंग पर दुनिया की नजर है। ब्राजील जैसा देश भी बजाज की नीति की तारीफ करता है और इसे बदलाव वाला कहता है। भारत को अपने विचारों का खुलापन नहीं होना चाहिए। राहुल ने बजाज में दम होने की बात कहीं। राजीव ने कहा उनके बयानों पर कुछ विवाद हुआ था। इसे बुरा नहीं समझा। आज देश में 100 लोग बोलने से डरते है। 90 के पास छुपाने को है। लोगों में डर है कि कोरोना से मौत हो रही है, लेकिन ऐसा सच नहीं है। लोगों के दिमाग से डर निकालना होगा। पीएम मोदी को आज देश को कहना चाहिए कि इस वायरस से डरने की जरुरत नहीं। राहुल के कोरोना मामले के प्रश्न पर राजीव ने कहा कि सभी के लिए ये नया माहौल है। हम इसमें ढलने की कोशिश कर रहे है। लेकिन इस बीच कारोबार के साथ काफी कुछ हो रहा है। यह संक्रमण कर्व नहीं जीडीपी कर्व है।
राहुल के एक सवाल पर राजीव ने कहा, हमारे जापान, सिंगापुर में दोस्त हैं इसके अलावा दुनिया के कई देशों में बात होती है। भारत में एक तरह का ड्रैकियन लॉकडाउन है, ऐसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ है. दुनिया के कई देशों में बाहर निकलने की अनुमति थी, लेकिन हमारे यहां स्थिति अलग भारत में कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे निपट सकते हैं, लेकिन करोड़ों मजदूर हैं जिन्हें मुश्किल झेलनी पड़ी।
इस पर राजीव ने कहा , भारत ने ईस्ट नहीं बल्कि पश्चिम की ओर देखा, लेकिन पूर्वी देशों में इसके खिलाफ बेहतर काम हुआ है. पूर्वी देशों ने तापमान, मेडिकल समेत तमाम मुश्किलों के बावजूद बेहतर काम किया है. ऐसा कोई भी मेडिकल सुविधाएं नहीं हो सकतीं, जो इससे निपट सकें। ये अपने आप में पहली बार जैसा था।
मुझे लगता है कि अपने यहां फैक्ट और सच्चाई के मामले में कमी रह गई है, लोगों को लगता है कि ये बीमारी एक कैंसर जैसी है. अब जरूरत है कि लोगों की सोच को बदला जाए और जीवन को आम पटरी पर लाया जा सके. लेकिन इसमें एक लंबा वक्त लग सकता है।
राहुल कहना था कि , मैंने कई एक्सपर्ट से बात की है, लॉकडाउन की शुरुआत में मेरी बात हुई थी कि जैसे ही लॉकडाउन लागू होता है तो बीमारी का तरीका बदल जाता है. उसे बदल पाना मुश्किल है, इसमें वक्त और कोशिशें ज्यादा है।
इस पर राजीव ने कहा कि , टीबी, डायरिया जैसी बीमारी की बजाय ऐसा कुछ पहली बार हुआ है, इस बीमारी ने विकसित देशों पर चोट पहुंचाई है. क्योंकि जब अमीर बीमार होते हैं, तो हेडलाइन बनती है. अफ्रीका में हर दिन 8000 बच्चे भूख से मरते हैं, लेकिन हेडलाइन नहीं बनती है. क्योंकि इस बीमारी से विकसित देश, अमीर लोग और समृद्ध लोग प्रभावित हैं इसलिए कोरोना पर शोर ज्यादा है। आम आदमी के नजरिए से लॉकडाउन काफी कठिन है, क्योंकि भारत जैसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ. आज हर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहता है, भारत ने सिर्फ पश्चिम को नहीं देखा, बल्कि उससे आगे निकल गया. और कठिन लॉकडाउन लागू किया. कमजोर लॉकडाउन से वायरस रहता है और सख्त लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बिगड़ गई।
हम इसके बीच में फंस गए हैं और हमें जापान और स्वीडन की तरह नीति अपनानी चाहिए थी. वहां पर नियमों का पालन हो रहा है, लेकिन लोगों के लिए जीवन को मुश्किल नहीं बनाया जा रहा है।
राहुल ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमारे यहां मजदूर हैं, प्रवासी मजदूर हैं लेकिन हम पश्चिम को देखते रहे. हम अपनी मुश्किल ही क्यों नहीं देखते हैं, दूसरे देश को क्यों देखते हैं। केंद्र सरकार को एक समर्थन प्रणाली की तरह कार्य करना था, और एक इलेबलर के रूप में कार्य करना था , कुछ चीजें जो केंद्र सरकार को करने की जरूरत है जैसे – हवाई यातायात, रेलवे आदि, वो केंद्र को करना चाहिए था । लेकिन फिर लड़ाई को हमें जिलास्तर तक ले जाना था, मुख्यमंत्री तक ले जाना था, उन्हें अनुमति देना था और इस विपदा से लडऩे के लिए सक्षम बनाना था।
लॉक डाउन खुलने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़ गयी, इसलिए में इसे एक असफल लॉक डाउन कहता हूँ । और अब हम उसी परिस्थिति में वापस जा रहे हैं । केंद्र सरकसर अपने कदम पीछे खींच रही है और राज्यों के भरोसे छोडऩे को मजबूर है । तो सही जवाब अब स्वत: शुरू हुआ है । अब देश ने बागडोर अपने हाथ में ले ली है । आप एक अलग रणनीति देख सकते हैं, पंजाब में एक रणनीति देख सकते हैं, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में देख सकते हैं, जहां कुछ दूसरों से बेहतर करेंगे, जहां पहले से अधिक प्रतिक्रिया मिली, जहां नुकसान अचानक कम हो जाएगा। स्थिति से निपटने की क्षमता में सुधार होगा
राजीव ने राहुल से कहा कि अगर आप मार्च में वापस जाएं, तो आप तीन महीने पहले क्या सोचते
इस पर राहुल ने कहा कि हमारी चर्चा ये हुई थी कि राज्यों को ताकत देनी चाहिए और केंद्र सरकार को पूरा समर्थन देना चाहिए। केंद्र को रेल-फ्लाइट पर काम करना चाहिए था, लेकिन सीएम और डीएम को जमीन पर लड़ाई लडऩी चाहिए थी. मेरे हिसाब से लॉकडाउन फेल है और अब केस बढ़ रहे हैं. अब केंद्र सरकार पीछे हट रही है और कह रही है राज्य संभाल लें। भारत ने दो महीने का पॉज बटन दबाया और अब वो कदम उठा रहा है जो पहले दिन लेना था। हमारी ओर से लोगों को मदद नहीं की गई, लोगों में भरोसा जगाना जरूरी है. जब तक ऊपर से नीचे तक फैसला होगा तो ऐसा ही होगा, लेकिन नीचे से ऊपर फैसला होना चाहिए।
राजीव का मानना है,कि जब कोई हेल्मेट नहीं पहनता तो कुछ नहीं होता है, लेकिन अब अगर कोई मास्क नहीं पहन रहा है तो उसे सड़क पर बेइज्जत किया जा रहा है. लेकिन ये गलत है, आज दुनिया में सरकारें आम लोगों को सीधे मदद दे रही हैं. भारत में सरकार की ओर से आम लोगों को सीधे हाथ में पैसा नहीं दिया गया है।
इस पर राहुल ने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि सरकार लोगों के हाथ में पैसा क्यों नहीं दे रही है, राजनीति को भूलिए लेकिन इस वक्त लोगों को पैसा देने की जरूरत है. सरकार के व्यक्ति ने मुझसे कहा कि इस वक्त चीन के मुकाबले भारत के सामने काफी मौका है, अगर हम मजदूरों को पैसा देंगे तो बिगड़ जाएंगे और काम पर नहीं आएंगे. हम बाद में इन्हें पैसा दे सकते हैं, इस तरह की बातें मुझे कही गईं।
राजीव ने कहा कि भारत मुश्किल से बच नहीं सकता है, खुद को निकालना पड़ेगा. मजदूरों को अगर 6 महीने तक ही पैसा दिया जाए तो मार्केट में डिमांड बढ़ेगी।
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