खादी ब्रांड का इस्तेमाल कर बेची जा रही नकली पीपीई किट
0-केवीआईसी करेगी कानूनी कार्रवाई
नईदिल्ली,04 मई (आरएनएस)। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के संज्ञान में ये आया है कि कुछ बेईमान व्यावसायिक कंपनियां व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का निर्माण और बिक्री कर रही हैं और धोखे से केवीआईसी के पंजीकृत ट्रेडमार्क Óखादी इंडियाÓ का उपयोग कर रही हैं। केवीआईसी ये बात स्पष्ट करता है कि अब तक उसने कोई पीपीई किट बाजार में नहीं उतारी है।
ऐसा ज्ञात हुआ है कि ये नकली पीपीई किट खादी के ही एक उत्पाद की तरह बेची जा रही है, जो पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि केवीआईसी विशेष रूप से अपने उत्पादों के लिए दोहरे-घुमाव वाले हाथ से काते हुए, हाथ से बुने हुए खादी के कपड़े का उपयोग करता है और इसलिए पॉलिएस्टर और पॉलीप्रोपाइलीन जैसे बिना बुने हुए मटीरियल से बने ये किट न तो खादी के उत्पाद हैं और न ही केवीआईसी उत्पाद।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि केवीआईसी ने खादी कपड़े से बने अपने स्वयं के पीपीई किट विकसित किए हैं जो परीक्षण के विभिन्न स्तरों पर हैं। उन्होंने कहा, अभी तक हमने खादी पीपीई किट बाजार में नहीं उतारी हैं। पीपीई किटों को खादी इंडिया के नाम पर धोखेबाज़ी से बेचना गैर-कानूनी है। इसके अलावा ये किट हमारे डॉक्टरों, नैदानिक और चिकित्सा सहायकों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं जो कोरोना बीमारी के मामलों से नियमित रूप से निपट रहे हैं। सक्सेना ने कहा कि केवीआईसी ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है।
दिल्ली स्थित एक निचिया कॉर्पोरेशन द्वारा बनाई गई नकली पीपीई किट का मामला केवीआईसी के डिप्टी-सीईओ सत्य नारायण के ध्यान में लाया गया, जिन्होंने बताया कि केवीआईसी ने कोई भी पीपीई किट लॉन्च नहीं किया है और न ही इसका काम किसी निजी एजेंसी को दिया है।
वर्तमान में, केवीआईसी केवल विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए खादी फेस मास्क का निर्माण और वितरण कर रहा है जो उच्चतम सुरक्षा मानकों के अनुरूप है। केवीआईसी इन मास्क के निर्माण के लिए डबल-ट्विस्ट वाले खादी कपड़े का उपयोग कर रहा है क्योंकि यह 70 फीसदी नमी को अंदर ही बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा ये मास्क हाथ से काते हुए और हाथ से बुने हुए खादी के कपड़े से बने होते हैं जो सांस लेने, धोने योग्य होते हैं और बायोडिग्रेडेबल यानी स्वाभाविक तौर से सडऩे योग्य होते हैं।
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