भारतीय नौसेना में महिलाओं को मिलेगा स्थायी कमिशन

नई दिल्ली,17 मार्च (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना में महिला अधिकारियों के स्थाई कमिशन मामले पर फैसला सुना दिया है। आदेश के मुताबिक नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमिशन दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं और पुरुष अधिकारियों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब महिलाएं कई तरह के लाभ पाने की हकदार होंगीं। गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही कह दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तैयार है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगा चुका है। कोर्ट ने कहा था कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिला अधिकारियों को अवसर से वंचित रखना बेहद बेदभावपूर्ण रवैया है और यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।
रक्षा राज्यमंत्री ने दिया था ये बयान
रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने कहा था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी गंभीरता से मानेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि महिलाओं को पुरुषों की ही तरह कमांड पोस्ट पर भी तैनात करना चाहिए। सरकार ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। अदालत ने आर्मी के मामले में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। दरअल 1950 में बने आर्मी ऐक्ट के तहत महिलाओं को परमानेंट कमिशन के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया था। इसके 42 साल बाद यानी 1992 में सरकार ने पांच ब्रांच में महिला अधिकारी बनाने की अधिसूचना जारी की। 17 फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि सेना में महिलाओं को स्थायी कमिशन दिया जाए। अब नौसेना के मामले में सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है।
क्या है परमानेंट कमिशन का मतलब
स्थायी कमिशन का मतलब है कि कोई अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है और इसके बाद वह पेंशन का भी हकदार होगा। इसके तहत वे अधिकारी भी स्थयी कमिशन में जा सकती हैं जो अभी शॉर्ट सर्विस कमिशन में काम कर रही हैं। शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत अधिकारियों को 14 साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है। इससे पहले महिलाएं केवल 10साल तक ही नौकरी कर पाती थीं। दरअसल सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमिशन शुरू किया गया था। इसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही शामिल किया जाता था। लेकिन स्थायी कमिशन के लिए केवल पुरुष ही अप्लाइ कर सकते थे। दिक्कत यह थी कि कम समय में रिटायर होने के बाद रोजगार का संकट पैदा होता है और साथ ही एक उम्र के बाद दूसरी जगह नौकरी करने की उम्मीद भी कम हो जाती है।
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